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अमृत- पुरुष
अमर
वह व्यक्ति ही अमृत पुरुष है, जो दुःखी और असहाय लोगों
आँसू पोंछता है।
अमर वे होते हैं, जो शंकर की तरह औरों के हिस्से का विष भी पी लेते हैं।
अमर-पुरुष
अमर वह नहीं है जिसने अपनी वंशावली बढ़ाई है। अमर वह है जिसने वंश के श्रेय और संस्कार के लिए आहुति और कुर्बानी दी है।
अर्पण
जीने का उसूल
मन में यह शिकायत न हो कि हमें क्या मिला है ? हम यह देखें कि हमने अपनी ओर से क्या किया है ?
अल्पज्ञान
अधूरा ज्ञान कच्ची कैरी की तरह है, जो कि खट्टी भी होती है और कड़क भी । ज्ञान को पकने का अवसर दीजिए ताकि वह आम की तरह मधुर और ग्राह्य हो ।
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