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प्राक्कथन
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तथा संस्कृति का विवेचन प्रस्तुत शोध प्रबन्ध में विदुषी लेखिका द्वारा किया गया है। मूल-आगम साहित्य में प्रमुखत: आचारांगसूत्र, सूत्रकृतांग और उत्तराध्ययनसूत्र के सन्दर्भ से जैन दार्शनिक और धार्मिक विचारों, जैन संघ के स्वरूप, जैन नीतिशास्त्र सामाजिक आर्थिक व्यवस्था तथा राजनीतिक एवं ऐतिहासिक विषयों पर लेखिका ने महत्वपूर्ण प्रकाश डाला है। हिन्दी में यह पहला ग्रन्थ है जिसमें इतने विस्तार के साथ जैन संस्कृति के विविध आयामों का निरूपण प्रमुख आगम ग्रन्थों के आधार पर किया गया है। यह पुस्तक सर्वथा स्वागत योग्य है।
प्रो. उदय प्रकाश अरोड़ा
अध्यक्ष प्राचीन इतिहास एवं संस्कृति विभाग डीन उन्नत सामाजिक विज्ञान संकाय एवं पूर्व कुलपति, महात्मा ज्योतिबा फुले रुहेलखण्ड विश्वविद्यालय, बरेली।