Book Title: Gnatadharm Kathang Ka Sanskritik Adhyayan
Author(s): Shashikala Chhajed
Publisher: Agam Ahimsa Samta evam Prakrit Samsthan
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ज्ञाताधर्मकथांग का सांस्कृतिक अध्ययन
इसमें पुण्यशाली नारियों की महत्ता को प्रतिपादित करते हुए बताया है कि पुण्य के प्रभाव से व्यंतर, ज्योतिष एवं कल्पवासी देवों की अग्रमहिषियों के रूप में जन्म लेती हैं। इसमें वर्णित अधिकतर कुमारियाँ भगवान पार्श्वनाथ के शासन में दीक्षित होकर उत्तरगुणों की विराधना करने के कारण देवियों के रूप में उत्पन्न हुईं। उन साधिकाओं के देवियों के रूप में उत्पन्न होने पर भी जो नाम उनके मानवभव में थे, उन्हीं नामों से उनका परिचय दिया गया है।
ज्ञाताधर्मकथांग का सम्पूर्ण आगम साहित्य में अपना एक विशिष्ट स्थान है। तत्कालीन संस्कृति का विशद् विवेचन इस ग्रंथ की विशिष्ट विशेषता है । समाज-उत्सव, शिक्षा, रीतिरिवाज, मनोरंजन, धार्मिक विश्वास - मंगलकर्म, शकुनअपशकुन, पूजा पद्धति और दर्शन, राजनीति, अर्थ, भूगोल और संस्कृति से जुड़े सभी पहलुओं का सिंहावलोकन इस ग्रंथ के माध्यम से किया जा सकता है।
द्रव्य-मीमांसा, तत्त्व - मीमांसा व आचार - मीमांसा जैसे गंभीर विषयों को कथाओं के माध्यम से जनभोग्य बनाया गया है। आत्मा शरीर का भेदविज्ञान, इन्द्रिय- संयम, पुनर्जन्म, तप, आश्रव, संवर, निर्जरा, मोक्ष आदि विविध विषयों का स्पष्ट विवेचन इस ग्रंथ में निबद्ध है । इस प्रकार इस ग्रंथ में जैनदर्शन जैसे गंभीर विषय को भी जनसामान्य की मानसिक योग्यता के करीब लाकर बिठा दिया गया है।
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