Book Title: Gnatadharm Kathang Ka Sanskritik Adhyayan
Author(s): Shashikala Chhajed
Publisher: Agam Ahimsa Samta evam Prakrit Samsthan
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गीइयं
ज्ञाताधर्मकथांग का सांस्कृतिक अध्ययन 18. वत्थविहिं - नए वस्त्र बनाना, रंगना, सीना और पहनना 19. विलेवणविहिं - विलेपन की वस्तु को पहचानना, तैयार करना 20. सयणविहिं - शय्या बनाना, शयन करने की विधि जानना 21. अजं . - आर्या छंद को पहचानना और बनाना
पहेलियं - पहेलियां बनाना और बूझना
मागहियं - मागधिका अर्थात् मगध की भाषा में गाथा बनाना 24. गाहं
- गाथा बनाना
- गीति छंद बनाना सिलोयं __ - श्लोक बनाना 27. हिरण्णजतिं - हिरण्य बनाना 28. सुवन्नजुतिं - सुवर्ण बनाना 29. चुन्नजुतिं - चूर्ण, गुलाल, अबीर आदि बनाना और उनका उपयोग
करना 30. आभरणविहिं - आभूषण बनाना और पहनना आदि 31. तरूणीपडिकम्मं - तरुणी की सेवा करना, प्रसाधन करना
इत्थिलक्खणं - स्त्री के लक्षण जानना 33. पुरिसलक्खणं - पुरुष के लक्षण जानना 34. हयलक्खणं - अश्व के लक्षण जानना
गयलक्खणं - हाथी के लक्षण जानना 36. गोणलक्खणं - गाय-बैल के लक्षण जानना 37. कुक्कुडलक्खणं - मुर्गों के लक्षण जानना 38. छतलक्खणं - छत्र के लक्षण जानना 39. डंडलक्खणं - दंड के लक्षण जानना
असिलक्खणं - खड्ग के लक्षण जानना 41. मणिलक्खणं - मणि के लक्षण जानना 42. कागणिलक्खणं - काकणी रत्न के लक्षण जानना 43. वत्थुविजं - वास्तु विद्या 44. खंधारमाणं - सेना के पड़ाव के प्रमाण आदि जानना
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