Book Title: Gnatadharm Kathang Ka Sanskritik Adhyayan
Author(s): Shashikala Chhajed
Publisher: Agam Ahimsa Samta evam Prakrit Samsthan
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ज्ञाताधर्मकथांग का सांस्कृतिक अध्ययन सेनापति तलवार आदि शस्त्रों से सज्जित होकर गया।06 मणिलक्खणं
___ मणिलक्खणं का अर्थ है- मणि के लक्षण जानना। श्रेणिक राजा ने मणियों और स्वर्ण के अलंकार धारण किए।07 अभयकुमार के मित्र देव ने मणियों, सुवर्ण और रत्नों से शोभित कटिसूत्र धारण कर रखा था।108 धारिणीदेवी ने मणिजटित करघनी धारण कर रखी थी।09 राजा श्रेणिक ने मेघकुमार के लिए एक ऐसी शिविका बनाने का आदेश दिया जो कुशल कारीगरों द्वारा निर्मित देदीप्यमान मणियों और रत्नों की धुंघरूओं के समूह से व्याप्त हो ।10 धारिणीदेवी के शयन कक्ष का फर्श पंचरंगी मणियों से जड़ा हुआ था।11 वत्थुविजं __वत्थुविजं का अर्थ है- वास्तुविद्या। ज्ञाताधर्मकथांग में विभिन्न जगहों पर वास्तुकला का प्रत्यक्ष-परोक्ष रूप में उल्लेख मिलता है। नन्दमणिकार सेठ ने श्रेणिक राजा से आज्ञा प्राप्त कर वास्तुशास्त्र के पाठकों की सलाहानुसार नंदापुष्करिणी, वनखंड, चित्रसभा, भोजनशाला, चिकित्साशाला और अलंकारशाला का निर्माण करवाया।12
___ स्थापत्य के क्षेत्र में रामायणकालीन आर्यों ने आश्चर्यजनक प्रगति कर ली थी। महलों में कई स्तम्भ हुआ करते थे, सहस्र स्तम्भों वाले प्रासादों का रामायण में दो स्थलों पर उल्लेख हुआ है।113 'पद्म' नाम के भवन कमलाकार होते थे। जिन मकानों में पूर्व की ओर द्वार नहीं होता था, वे 'स्वस्तिक' कहलाते थे और जिनमें दक्षिणाभिमुख द्वार नहीं होता था, वे 'वर्धमान' कहलाते थे।14 लंका में वज्र और अंकुश के आकार के भी गृह बने थे। सुंदरकांड (सर्ग 6-7) में रावण के राजभवन का विस्तृत वर्णन है।
किसी नए नगर की नींव डालते वक्त भी पुरी नाप-जोख की जाती थी, शान्तिपाठ करके काम शुरू किया जाता था। युधिष्ठिर के सभा-मण्डप का वर्णन भी अत्यन्त मनोमुग्धकारी है। सभागृह वास्तुकला का उत्कृष्ट नमूना था।16 खंधारमाणं
खंधारमाणं का अर्थ है- सेना के पड़ाव के प्रमाण आदि जानना। ज्ञाताधर्मकथांग में वर्णित युद्ध प्रसंगों में सेना के पड़ाव का उल्लेख मिलता है। कुम्भ राजा अपने देश की सीमा के बाहर सेना का पड़ाव डालकर जितशत्रु आदि छ: राजाओं से युद्ध करने के लिए तत्पर हुआ।17 कृष्ण तथा पाँच पांडवों ने
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