Book Title: Gnatadharm Kathang Ka Sanskritik Adhyayan
Author(s): Shashikala Chhajed
Publisher: Agam Ahimsa Samta evam Prakrit Samsthan
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ज्ञाताधर्मकथांग में प्रतिपादित धर्म-दर्शन
कुलत्था
स्त्री
धान्य
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कुलवधू कुलमाता कुलपुत्री
कुलत्थनामक धान्य
तीनों अभक्ष्य
शस्त्र परिणत
अशस्त्र परिणत
प्रासुक
अप्रासुक
अभक्ष्य
याचित
अयाचित अभक्ष्य
एषणीय
अनेषणीय अभक्ष्य
लब्ध
अलब्ध अभक्ष्य
भक्ष्य
अभक्ष्य
उपर्युक्त विकल्प श्रृंखला (स्याद्वाद शैली) से स्पष्ट है कि 'कुलत्था' भक्ष्य भी है और अभक्ष्य भी है।
एक सामान्य से प्रश्न पर विभक्तिपूर्वक इतने सारे विकल्प प्रस्तुत करते चले जाने से स्पष्ट है कि जैन दर्शन अद्वैतवादी नहीं है। वह अनेक बाह्य पदार्थों की सत्ता स्वीकार करता है।
जैन दर्शन में वस्तु का स्वरूप अनेकान्तात्मक माना गया है। सत्य के
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