Book Title: Gnatadharm Kathang Ka Sanskritik Adhyayan
Author(s): Shashikala Chhajed
Publisher: Agam Ahimsa Samta evam Prakrit Samsthan
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ज्ञाताधर्मकथांग में कला है, उसमें उस विशिष्ट मानसिक सौन्दर्य की योजना है, जो उपयोगितावाद से भिन्न वस्तु है ।
ज्ञाताधर्मकथांग में कला
ज्ञाताधर्मकथांग में कथाशैली में संग्रथित धर्मकथानुयोग का एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है। कथाओं के माध्यम से आत्मबोध कराना ही इस ग्रंथ का लक्ष्य है । इस क्रम में इस ग्रंथ में विभिन्न भारतीय कलाओं को उकेरा गया है, जिनमें वास्तुकला, चित्रकला, मूर्तिकला, संगीत-नृत्यकला, स्थापत्यकला, आयुर्वेद, युद्धकला, पाककला आदि प्रमुख है ।
ज्ञाताधर्मकथांग में अग्रांकित बहत्तर कलाओं का नामोल्लेख मिलता हैलेहं
- लेखन
गणियं
• गणित
रूवं
1.
2.
3.
4.
5.
6.
7.
8.
9.
10. जूयं
11. जणवायं 12. पासयं
13. अट्ठावयं
14.
पोरेकच्च
15. दगमट्टियं
16.
अन्नविहिं
17.
पाणविहिं
न
गीयं
वाइयं
सरगयं
पोक्खरगयं
समता
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जुआ
वाद-विवाद करना
• पासों से खेलना
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चौपड़ खेलना
नगर की रक्षा करना
जल और मिट्टी के संयोग से वस्तु का निर्माण
धान्य निपजाना
नया पानी उत्पन्न करना, पानी को संस्कार करके शुद्ध एवं उष्ण करना
243
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रूप बदलना
नाटक
गायन
वाद्य बजाना
स्वर जानना
पुष्कर नामक वाद्य बजाना
समानताल जानना
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