Book Title: Gnatadharm Kathang Ka Sanskritik Adhyayan
Author(s): Shashikala Chhajed
Publisher: Agam Ahimsa Samta evam Prakrit Samsthan
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ज्ञाताधर्मकथांग का भौगोलिक विश्लेषण (बुन्देलखण्ड का उत्तरी भाग) की राजधानी थी। बांदा जिले के आसपास के प्रदेश को शुक्तिमती कहा जाता है। महाभारत में भी इसका उल्लेख मिलता है। बौद्ध श्रमणों का यह केन्द्र था। इसका राजा शिशुपाल था। मथुरा
ज्ञाताधर्मकथांग में मथुरा नगरी का उल्लेख मिलता है। मथुरा शूरसेन की राजधानी थी। मथुरा उत्तरापथ की एक महत्वपूर्ण नगरी मानी गई है। इसका नाम इन्द्रपुर था।” यहाँ स्वर्ण स्तूप होने का उल्लेख है, जिसे लेकर जैन और बौद्धों में झगड़ा हुआ था और अंत में इस पर जैनों का अधिकार हो गया। रविषेण के बृहत्कथाकोश में इसे देवनिर्मित स्तूप कहा है।
मथुरा में अंतिम केवली जम्बूस्वामी का निर्वाण हुआ था, अतः सिद्धक्षेत्रों में इसकी गणना की जाती है। ईस्वी सन् की चौथी शताब्दी में जैन आगमों की यहाँ संकल्पना हुई थी, इस दृष्टि से भी इस नगरी का महत्व समझा जा सकता है। प्राचीनकाल से ही अनेक जैन भिक्षुओं का यह केन्द्र रहा है। 2
मथुरा प्रमुख व्यापारिक केन्द्र था और बच्चों के लिए यह विशेष रूप से प्रसिद्ध था। मथुरा के राजा 'धर' द्रोपदी के स्वयंवर में शामिल हुए थे।4 मथुरा की पहचान मथुरा से दक्षिण-पश्चिम में स्थित महोलि नामक ग्राम से की जाती
पाण्डु मथुरा
ज्ञाताधर्मकथांग में पाण्डु मथुरा नगरी का नामोल्लेख मिलता है। पाण्डवों ने श्रीकृष्ण के आदेश पर दक्षिणार्थ भरतक्षेत्र के बेलातट (समुद्र किनारे) पर पाण्डु-मथुरा नामक नगरी की रचना की और फिर पाण्डव उसी नगर में रहने लगे।86 विराटनगर
ज्ञाताधर्मकथांग में वैराट या विराटनगर का उल्लेख मिलता है। यह नगरी (वैराट, जयपुर के पास) मत्स्य की राजधानी थी। यहाँ के राजा विराट की राजधानी होने के कारण इसे वैराट या विराट कहा जाता था। पांडवों ने यहाँ अज्ञातवास बिताया था। बौद्ध मठों के ध्वंसावशेष यहाँ उपलब्ध हुए हैं। यहाँ के लोग अपनी वीरता के लिए प्रसिद्ध थे। विराटनगर का राजा कीचक था, जिसे द्रौपदी के स्वयंवर में पधारने के लिए आमंत्रित किया गया।
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