Book Title: Gnatadharm Kathang Ka Sanskritik Adhyayan
Author(s): Shashikala Chhajed
Publisher: Agam Ahimsa Samta evam Prakrit Samsthan
View full book text
________________
ज्ञाताधर्मकथांग का सांस्कृतिक अध्ययन
1
कहलाते हैं। शरीर की शुभ-अशुभ स्थिति को शरीरगत स्वस्तिक, चक्र आदि चिह्न रूप लक्षणों और मष, तिल आदि व्यंजनों से भी जाना जाता है । शरीर के मान-उन्मान, प्रमाण आदि भी लक्षण है । धारिणी के शरीर के लक्षण, व्यंजन के गुणों से युक्त व मान-उन्मान, प्रमाण से युक्त बताया गया है।427 श्रेणिकपुत्र अभय को भी उक्त लक्षणों से युक्त बताया गया है ।1428
मंगल संबंधी विश्वास
मंगल के निमित्त अष्टमंगल प्रचलित थे । स्वस्तिक, श्रीवत्स, नंदावर्त्त, वर्धमान, भद्रासन, कलश, मत्स्य व दर्पण अष्टमंगल माने गए हैं। दीक्षार्थ जाते मेघ की शिविका से आगे इन अष्टमंगलों को रखा गया । 129 स्वप्न पाठकों के लिए राजा श्रेणिक के द्वारा श्वेत वस्त्राच्छादित सरसों के मांगलिक उपचार से शांतिकर्म किए गए और आठ भद्रासन मंगल के रूप में लगाए गए 430 धारिणी देवी और प्रभावती देवी द्वारा क्रमशः मेघ 131 और मल्ली 132 के बालों को श्वेत हंस चिह्न युक्त वस्त्र में ग्रहण करना भी मंगल का सूचक माना गया है । अर्हन्त्रक आदि सायांत्रिकों ने भी मंगल के लिए नौका में पुष्पबलि, सरस रक्तचंदन का छापा लगाया, धूप किया, समुद्र की वायु की पूजा की, श्वेत पताकाएँ फहराई, वाद्यों की मधुर ध्वनि की, इस प्रकार विजयकारक सभी शकुन हो जाने पर उन्होंने यात्रा प्रारम्भ की 1433
ग्रह-नक्षत्र से जुड़े विश्वास
समस्त ग्रहों का उच्च स्थान पर होना, सभी दिशाओं का सौम्य - उत्पात से रहित, अंधकार से रहित, विशुद्ध-धूल आदि से रहित व अश्विनी नक्षत्र का चन्द्र के साथ योग होना ग्रह नक्षत्र की दृष्टि से शुभ माना गया है। ऐसे समय में ही मल्ली का जीव देवभव त्यागकर प्रभावती देवी के गर्भ में अवतरित हुआ। उस समय काक आदि पक्षियों के शब्द रूप शकुन भी विजयकारक थे । सुगन्धित, धनधान्ययुक्त वातावरण हृदय को शांत व मन को प्रफुल्लित करने वाला था । दक्षिणावर्त होकर बहती हवा सुरभित, मंद और शीतल होने से अनुकूल मानी गई है। ऐसे शुभ संकेतों के साथ आने वाला जीव निश्चित रूप से अति भाग्यशाली होगा, ऐसा लोकविश्वास था 1434
तंत्र-मंत्र से जुड़े विश्वास
ज्ञाताधर्मकथांग में एकाधिक ऐसे प्रसंग मिलते हैं, जिनके आधार पर कहा जा सकता है कि उस समय के लोगों का तंत्र-मंत्र में विश्वास था । जब
150