Book Title: Gnatadharm Kathang Ka Sanskritik Adhyayan
Author(s): Shashikala Chhajed
Publisher: Agam Ahimsa Samta evam Prakrit Samsthan
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ज्ञाताधर्मकथांग का सांस्कृतिक अध्ययन धान्य-भण्डारण
जैन आगमों में धान्य के वैज्ञानिक भण्डारण का उल्लेख मिलता है। इस विधि से धान्य दीर्घकाल तक सुरक्षित रखा जा सकता था। व्याख्याप्रज्ञप्ति से ज्ञात होता है कि शालि, व्रीहि, गोधूम, यव, कलाय, मसूर, तिल, मूंग, माष, कुलत्थ, आलिसदंक, तुअर, अलसी, कुसुम्भ, कोद्रव आदि धान्यों को बांस के छबड़े, मचान या पात्र विशेष में रखकर उसका मुख गोबर से लीप दिया जाता था, फिर उन्हें मुद्रित और चिह्नित करके रखा जाता था। इससे धान्यों की अंकुरण शक्ति दीर्घकाल तक बनी रहती थी। ज्ञाताधर्मकथांग में भी ऐसा ही उल्लेख मिलता है कि रोहिणी के कौटुम्बिक जनों ने शालि-अक्षतों को नवीन घड़े में भरा। भरकर उसके मुख पर मिट्टी का लेप कर दिया। लेप करके उसे लांछित-मुद्रित कर सील लगा दी और उन्हें कोठार में रख दिया। कौटिल्य के अर्थशास्त्र में भी ऐसे भण्डारण का उल्लेख है। ये ऊँचे स्थानों पर बनाए जाते थे और इतने दृढ़ होते थे कि वर्षा और आंधी से भी अप्रभावित रहते थे।" उपवन-उद्यान-वाटिका
कृषि के सहकारी धन्धे के रूप में फल-फूलों के उपवनों का उद्योग भी प्रचलित था। उस समय के लोग उद्यानों के वर्धन और पोषण में प्रवीण थे। ज्ञाताधर्मकथांग से ज्ञात होता है कि राजगृही का गुणशील नामक उद्यान ऐसे वृक्षों से युक्त था जो सभी ऋतुओं के फल-फूलों से लदे रहते थे। नन्दमणिकार सेठ ने भी राजगृह के बाहर एक नन्दा पुष्करिणी खुदवाई थी, जिसके चारों ओर वनखण्ड (भिन्न-भिन्न जाति के वृक्षों वाला स्थान) और उद्यान (जिसमें एक ही जाति के वृक्षों की प्रधानता हो - अर्धमागधी कोष भाग-4, पृ. 333) बने हुए थे। उद्यानों में विभिन्न प्रकार के फल-फूलों के वृक्ष थे।
आलोच्यग्रंथ से यह भी ज्ञात होता है कि तत्कालीन जीवन में उपवनों व उद्यानों का विशेष महत्व था। उपवनों में विशेष उत्सव मनाए जाते थे। जहाँ पर नागरिक नृत्य आदि के द्वारा अपना मनोरंजन करते थे।" जनसामान्य के लिए नगर के बाहर सार्वजनिक उजाण (उद्यान) होते थे, जहाँ पर वे घूमते-फिरते, मनोरंजन एवं क्रीड़ा करते हुए विचरते थे। उद्यानों में भ्रमण के लिए आने वाले व्यक्तियों के लिए विश्रामगृहों की भी व्यवस्था होती थी। जब मेघकुमार गर्भ में था तब उसकी माँ धारिणी को राजगृह की सीमा पर बने उद्यान में भ्रमण का
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