Book Title: Gnatadharm Kathang Ka Sanskritik Adhyayan
Author(s): Shashikala Chhajed
Publisher: Agam Ahimsa Samta evam Prakrit Samsthan
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ज्ञाताधर्मकथांग का भौगोलिक विश्लेषण किये। राजा बिम्बसार की 23 रानियाँ, कई पुत्र, पौत्र और गणमान्य जनों ने यहाँ से भगवान महावीर के पास संयम ग्रहण किया । नवविवाहित 8 पत्नियों सहित 527 व्यक्तियों के साथ जम्बूकुमार जैसे युवक दीक्षित हुए। मिथिला विदेह (विदेह देश की मिथिला नगरी )
ज्ञाताधर्मकथांग में मिथिला विदेह का नामोल्लेख मिलता है । 149 विदेह अर्थात् मिथिला नगरी में 19वें तीर्थंकर 'मल्ली भगवती' का जन्म हुआ । 150 यह नगरी व्यापार और वाणिज्य के लिए प्रसिद्ध थी । चम्पानगरी का अर्हन्नक श्रमणोपासक वहाँ से बेचने योग्य वस्तुओं को मिथिला नगरी लाया और मिथिला से चम्पानगरी ले गया । 151 मिथिला विदेह जनपद की राजधानी थी । 152 विदेह राज्य की सीमा उत्तर में हिमालय, दक्षिण में गंगा, पश्चिम में गंडकी और पूर्व में महानदी तक थी। 53 सुरूचि जातक के अनुसार इस राष्ट्र का विस्तार तीन सौ योजन था।'54 इसमें सोलह हजार गाँव थे । 15 यह एक समृद्ध राष्ट्र था । यहाँ का प्रत्येक घर 'कदली-वन' से सुशोभित था । स्थान-स्थान पर वापी, कूप और तड़ाग मिलते थे । खीर यहाँ का प्रसिद्ध भोजन था । यहाँ की सामान्य जनता भी संस्कृत में विशारद थी और वे धर्मशास्त्रों में भी निपुण थे। मिथिला का दूसरा नाम 'जनकपुरी' था। इसके पास ही महाराज जनक के भाई 'कनक' का निवास स्थान 'कनकपुर' बसा हुआ था । 156 वर्तमान में नेपाल की सीमा के अंतर्गत, जहाँ मुजफ्फरपुर और दरभंगा जिले मिलते हैं, छोटे नगर 'जनकपुर' को प्राचीन मिथिला कहा जाता है। 157
भगवान महावीर ने यहाँ छः चातुर्मास किए। 158 प्रत्येकबुद्ध नमि को कंकण की ध्वनि से यहीं वैराग्य हुआ था। 159 जैन आगमों में वर्णित दस राजधानियों में मिथिला का नाम है । 160
साकेत
ज्ञाताधर्मकथांग के अनुसार यह कौशल देश की विशिष्ट नगरी थी। इसके उत्तरपूर्व में (ईशान) एक बहुत बड़ा चैत्य था । 161 पतंजलि ने इसे उत्तर कौशल की राजधानी कहा है । उनके अनुसार यह नगरी पूर्वी और पश्चिमी भारत को जोड़ने वाले मार्ग पर स्थित थी । 162
कुणाल
ज्ञाताधर्मकथांग में कुणाल जनपद का उल्लेख मिलता है ।163 कुणाल जनपद
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