Book Title: Gnatadharm Kathang Ka Sanskritik Adhyayan
Author(s): Shashikala Chhajed
Publisher: Agam Ahimsa Samta evam Prakrit Samsthan
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ज्ञाताधर्मकथांग का सांस्कृतिक अध्ययन दिनों बाद बच्चे को घर से बाहर ले जाते हैं। ज्ञाताधर्मकथांग में इस संस्कार का स्पष्ट उल्लेख तो नहीं है, लेकिन पाँच धायों के द्वारा मेघकुमार को ग्रहण कर उसका लालन-पालन किया जाता है।49, उसे इस संस्कार में समाहित कर सकते हैं। महापुराण में भी इस क्रिया का उल्लेख मिलता है। 50 6. पालने में शयन का संस्कार'51
ज्ञाताधर्मकथांग में इस संस्कार का नामोल्लेख ही मिलता है। 7. पैरों से चलने का संस्कार'52
इस संस्कार का भी ज्ञाताधर्मकथांग में नामोल्लेख मात्र ही मिलता है, विस्तृत विवेचन नहीं। 8. चूडाकर्म संस्कार
चूडाकर्म संस्कार का अभिप्राय मुण्डन से है। यह संस्कार जन्म के प्रथम, तीसरे, पाँचवें या नवें वर्ष में सम्पन्न होता है। ज्ञाताधर्मकथांग में मेघकुमार के चोटी रखने यानी मुण्डन संस्कार को बड़ी ऋद्धि और सत्कारपूर्वक सम्पन्न करने का उल्लेख मिलता है।153 9. विद्यारम्भ संस्कार
अनेक शास्त्राचार्यों ने इस संस्कार को विद्यारम्भ, अक्षराम्भ, अक्षरस्वीकरण व अक्षरलेखन आदि नामों से सम्बोधित किया है।154 ज्ञाताधर्मकथांग में उल्लेख मिलता है कि मेघकुमार जब आठ वर्ष का हुआ तो उसे विद्याध्ययन के लिए कलाचार्य के पास भेजा गया।155 10. केशान्त (गोदान ) संस्कार
इस संस्कार में सोलहवें वर्ष में ब्रह्मचारी के सिर, दाढ़ी एवं मूंछ के बालों का क्षरण किया जाता था। इस संस्कार में ब्रह्मचारी गुरु को गौ का दान करता था। ज्ञाताधर्मकथांग में गाय न देकर कलाचार्य को सत्कार-सम्मान के साथ बहुत-सा प्रीतिदान देने का उल्लेख मिलता है156, जो इस संस्कार के अनुरूप ही कहा जा सकता है। 11. समावर्तन संस्कार
वेदाध्ययन के उपरान्त स्नान-कर्म तथा गुरु-गृह से लौटने के समय में संस्कार को स्नान या समावर्तन कहा जाता है। यह संस्कार विद्यार्थी-जीवन यानी ब्रह्मचर्य-जीवन की समाप्ति का सूचक है। ज्ञाताधर्मकथांग में भी उल्लेख मिलता है
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