Book Title: Gnatadharm Kathang Ka Sanskritik Adhyayan
Author(s): Shashikala Chhajed
Publisher: Agam Ahimsa Samta evam Prakrit Samsthan
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ज्ञाताधर्मकथांग का सांस्कृतिक अध्ययन
श्रेणिक298, मेघकुमार299 व थावच्चापुत्र द्वारा मुकुट धारण करने का उल्लेख मिलता है। चूड़ामणि- चूड़ामणि प्रायः स्वर्ण की खोल में जटित पद्मराग (लालमणि) होती थी। इसे मुकुट, साफे और नंगे सिर वाले भी पहनते थे।301 ज्ञाताधर्मकथांग में राजपुत्र मेघकुमार ने चूड़ामणि धारण की 1302 कर्णाभूषण- ज्ञाताधर्मकथांग में कर्णाभूषण के रूप में अनेक स्थलों पर 'कुण्डल'303 शब्द का ही प्रयोग हुआ है। अर्हन्नक द्वारा प्राप्त दिव्य कुण्डल राजा कुंभ ने मल्ली राजकुमारी को दिए।304 कण्ठाभूषण- ज्ञाताधर्मकथांग में गले में पहने जाने वाले विभिन्न आभूषणों का उल्लेख मिलता है, जिसका प्रसंगवार ब्यौरा इस प्रकार हैi. माला- ज्ञाताधर्मकथांग में चार प्रकार की मालाओं- सूत से गुंथी
हुई, पुष्प से बेढ़ी हुई, बांस की सलाई से बनाई हुई और वस्तु के योग से परस्पर संघात की हुई, का उल्लेख मिलता है ।05 दोहदपूर्ति, राज्याभिषेक, दीक्षा महोत्सव व स्वयंवर309 आदि विशेष अवसरों पर माला पहनने-पहनाने का प्रचलन था। मुक्तावली- राजपुत्र मेघकुमार ने गले में मुक्तावली पहनी।310 रत्नावली- रत्नावली नाना प्रकार के रत्न, सुवर्ण, मणि, मोती एवं माणिक्य से निर्मित माला को कहा गया है।11 मेघकुमार ने रत्नावली
धारण की।312 iv. एकावली- अमरकोश में मोतियों की एक लड़ी की माला को
एकावली की संज्ञा प्रदान की गई है। 13 ज्ञाताधर्मकथांग में एकावली
का नामोल्लेख मात्र मिलता है।14 v. कनकावली- सोने से बने हार को कनकावली कहा गया है।
दीक्षा से पूर्व मेघकुमार को कनकावली धारण करवाई गई।315 vi. हार- ज्ञाताधर्मकथांग में विभिन्न प्रकार के हारों का उल्लेख मिलता
है। राजा श्रेणिक ने अठारह लड़ों के हार, नौ लड़ों के अर्द्धहार, तीन लड़ों के छोटे हार आदि धारण किए।16 इसी प्रकार मेघकुमार को दीक्षा से पूर्व प्रालंब (कंठी) और पदा प्रलम्ब (पैरों तक लटकने वाला आभूषण) धारण करवाए गए।17
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