Book Title: Gnatadharm Kathang Ka Sanskritik Adhyayan
Author(s): Shashikala Chhajed
Publisher: Agam Ahimsa Samta evam Prakrit Samsthan
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ज्ञाताधर्मकथांग का सांस्कृतिक अध्ययन
सुराष्ट्र
ज्ञाताधर्मकथांग में सुराष्ट्र नगरी का नामोल्लेख मिलता है। 120 इसे सौराष्ट्र भी कहा गया है। इसकी गणना महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, कुडुक्क के साथ की गई है। 121 आलोच्य ग्रंथ के अनुसार सुराष्ट्र एक जनपद था जो पंचाल देश और द्वारका नगरी के मध्य स्थित था। 22 सौराष्ट्र जनपद की राजधानी वल्लभी थी और इस वल्लभी नगरी में चौथी और अंतिम आगम वांचना देवर्धिगणि क्षमाश्रमण की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई थी। 123
कौशल
ज्ञाताधर्मकथांग में कौशल नगर का नामोल्लेख मिलता है । 124 कौशल अथवा कौशलपुर (अवध) जैनसूत्रों में एक प्राचीन जनपद माना गया है। कौशल का प्राचीन नाम विनीता था। कहा जाता है कि यहाँ के निवासियों ने विविध कलाओं में कुशलता प्राप्त की थी, इसलिए लोग विनीता को कुशला कहने लगे। 125 कौशल की राजधानी श्रावस्ति थी । इससे पहले कौशल की राजधानी साकेत और अयोध्या रह चुकी थी । कौशल और काशी के राजा परस्पर प्रायः लड़ा करते थे । 126 पाणिनि ने कौशल देश को बुद्धकालीन सोलह जनपदों में एक माना है। 127
सौगधिंका
तैतलिपुर
हस्तीशीर्षनगर
चम्पा
ज्ञाताधर्मकथांग में सौगंधिका नगरी का नामोल्लेख मिलता है। 128
ज्ञाताधर्मकथांग में तैतलिपुर नगर का उल्लेख मिलता है। 129
ज्ञाताधर्मकथांग में हस्तीशीर्ष नगर का नामोल्लेख मिलता है । 130
ज्ञाताधर्मकथांग के प्रथम अध्ययन में चम्पानगरी का उल्लेख मिलता है । चम्पानगरी का राजा कूणिक था । चम्पानगरी के उत्तर- - पूर्व / ईशानकोण में पूर्णभद्र नामक चैत्य था । 131 आर्य देशों में चम्पानगरी सम्मिलित थी और यह अंग देश की राजधानी थी। 132 स्थानांग सूत्र में 10 राजधानियों में एक राजधानी चम्पा का भी उल्लेख मिलता है। 133 चम्पानगरी तोरण, धवलगृह, कोट आदि से युक्त थी । 134 कुवलयमालाकहा के अनुसार काकन्दी से एक योजन दूर कोसम्ब वन था तथा
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