Book Title: Gnatadharm Kathang Ka Sanskritik Adhyayan
Author(s): Shashikala Chhajed
Publisher: Agam Ahimsa Samta evam Prakrit Samsthan
View full book text
________________
ज्ञाताधर्मकथांग का भौगोलिक विश्लेषण भूतारण्य वन हैं। प्रत्येक क्षेत्र की गंगा, सिंधु एवं रक्ता, रक्तोदा आदि जैसी 64 नदियाँ हैं । शीता, शीतोदा की परिवार नदियाँ 168000 हैं। विभंगा में प्रत्येक की परिवार नदियाँ 28000 हैं। गंगा, सिन्धु आदि में प्रत्येक की परिवार नदियाँ 14000 हैं।
श्वेताम्बर परम्परानुसार महाविदेह क्षेत्र निषध-नील वर्षधर पर्वत के क्रमशः उत्तर-दक्षिण में, पूर्वी लवण समुद्र के पश्चिम में, पश्चिमी लवण समुद्र के पूर्व में जम्बूद्वीप के अंतर्गत है। यह पूर्व-पश्चिम में लम्बा तथा उत्तर-दक्षिण में चौड़ा है, पलंग के आकार के समान संस्थित है। यह दोनों ओर से लवण समुद्र का स्पर्श करता है। जिसकी चौड़ाई 3368441, योजन है, इसकी पूर्व-पश्चिम बाहा योजन 3376771 तथा धनुपृष्ट (उत्तर-दक्षिणी परिधि) 158113 1640 योजन हैं। महाविदेह क्षेत्र के 4 भाग बताये हैं- 1. पूर्व विदेह, 2. पश्चिम विदेह, 3. देवकुरु तथा 4. उत्तरकुरु। पूर्व-पश्चिम महाविदेह के मनुष्यों की लम्बाई 500 धनुष (2000 हाथ जितनी) तथा अन्तर्मुहूर्त से लेकर क्रोड़ पूर्व तक का आयुष्य (उम्र) होती है। देवकुरु-उत्तरकुरु के मनुष्यों की लम्बाई करीब 6000 धनुष (3 गाऊ) तथा 3 पल्योपम की उम्र होती है। प्रकारान्तर से 4 भाग महाविदेह के बीचोंबीच मेरु पर्वत आ जाने से पूर्व तथा पश्चिमी विदेह ये दो भेद तथा दोनों के मध्य में शीता-शीतोदा महानदी क्रमशः आ जाने से उनके उत्तरी व दक्षिणी में दो-दो भाग हो जाते हैं। इन चारों भागों में से प्रत्येक में क्रमश: 8-8 विजय (एक-एक चक्रवर्ती द्वारा जीता जा सकने वाला क्षेत्र) 4-4 वक्षस्कार पर्वत, 33 अन्तर्नदियाँ तथा पूर्व-पश्चिम के अंतिम छोरों पर शीतामुख वन आदि है। मेरु की चारों विदिशाओं में 2-2 कोस की दूरी पर तथा नीलवंत व निषध पर्वत से संलग्न 4 गजदन्ताकार पर्वत है। देवकुरु क्षेत्र के मध्य में चित्र-विचित्र पर्वत तथा उत्तरकुरु क्षेत्र में यमक संज्ञक पर्वत हैं जो कि क्रमश: शीता व शीतोदा नदियों के पूर्वी व पश्चिमी तट पर रहे हुए हैं। उत्तरकुरु क्षेत्र के मध्य जम्बूसुदर्शना नामक वृक्ष पर जम्बूद्वीप का अधिपति (स्वामी) अनाहत नामक देव निवास करता है। नीलवंत वर्षधर पर्वत पर स्थित केसरी द्रह से महाविदेह के शीताप्रपात कुण्ड में गिरकर शीता महानदी उत्तरकुरु क्षेत्र के मध्य में बहती है। वहाँ कुछ-कुछ दूरी पर उस महानदी में 5 द्रह हैं तथा उनके दोनों किनारों पर 10-10 कांचनगिरि पर्वत हैं तथा इसी प्रकार निषध पर्वत से देवकुरू क्षेत्र के शीतोदा प्रपात कुण्ड में गिरकर आगे बहने वाली शीतोदा महानदी पर भी 5-5 द्रह हैं उनके दोनों तटों
73