Book Title: Gnatadharm Kathang Ka Sanskritik Adhyayan
Author(s): Shashikala Chhajed
Publisher: Agam Ahimsa Samta evam Prakrit Samsthan
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ज्ञाताधर्मकथांग का सांस्कृतिक अध्ययन
प्रकार के वृक्षों के वनों से युक्त, सुन्दर सुषमावाला था । " धातकीखण्ड द्वीप
ज्ञाताधर्मकथांग के अनुसार धातकीखण्ड द्वीप लवण समुद्र के चारों ओर 400000 योजन में विस्तृत यह दूसरा द्वीप है। इसके चारों तरफ भी एक जगती (कोट / दीवार ) है । इस द्वीप में भरत आदि सभी क्षेत्र हिमवंत आदि सभी पर्वत, सभी नदियाँ, कूट आदि दो-दो की संख्या में हैं | 20
नन्दीश्वर द्वीप
ज्ञाताधर्मकथांग में नन्दीश्वर द्वीप का उल्लेख मिलता है। 21 अष्टम द्वीप नन्दीश्वर द्वीप है । इस द्वीप के अंतराल में सात द्वीप और सात समुद्र कहे गए हैं (ठाणांग-7/110) । इसका कुल विस्तार एक सौ तिरेसठ करोड़ चौरासी लाख योजन है। 22 ज्ञाताधर्मकथांग के अनुसार तीर्थंकर के जन्म से लेकर निर्वाण पर्यन्त पंचकल्याणकों के अष्टाह्निका महोत्सव भवनपति, व्यंतर, ज्योतिष्क और वैमानिक देवों द्वारा नन्दीश्वर द्वीप में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।23
कालिक द्वीप
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ज्ञाताधर्मकथांग के अनुसार यह द्वीप लवण समुद्र में अवगाहित है अर्थात् अन्दर अवस्थित है । इस द्वीप की यह विशेषता है कि इसमें विविध प्रकार की खानें थीं, यथा- सोना, चाँदी, हीरे, रत्न आदि बहुमूल्य धातु । इस द्वीप के आकीर्ण जाति के घोड़े बहुत प्रसिद्ध हैं | 24
महाविदेह
ज्ञाताधर्मकथांग में महाविदेह क्षेत्र विशेष का नामोल्लेख मिलता है 125 दिगंबर परम्परा के अनुसार महाविदेह क्षेत्र का विस्तार 336844, योजन है। मेरु की चारों ही विदिशाओं से संलग्न एवं दोनों तरफ निषध- नीलवंत वर्षधर पर्वत से संलग्न चार गजदंत हैं । निषध वर्षधर पर्वत से शीतोदा एवं नीलवंत वर्षधर से शीता नदी निकलकर पश्चिम-पूर्व विदेहों में गई है । शीता - शीतोदा के पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण में पाँच-पाँच सरोवर हैं। शीता - शीतोदा के पूर्व-पश्चिम किनारों पर दो-दो यमकगिरि हैं । इन्हीं शीता-शीतोदा की चारों दिशाओं में दोनों किनारों पर एक-एक दिग्गज पर्वत होने से आठ दिग्गजेन्द्र पर्वत हैं । पूर्व-पश्चिम विदेह में सोलह वक्षार, बारह विभंग नदियाँ, बत्तीस क्षेत्र, बत्तीस विजयार्थ, बत्तीस वृषभाचल एवं बत्तीस राजधानियाँ हैं। दोनों तरफ दो-दो देवारण्य और
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