Book Title: Gnatadharm Kathang Ka Sanskritik Adhyayan
Author(s): Shashikala Chhajed
Publisher: Agam Ahimsa Samta evam Prakrit Samsthan
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ज्ञाताधर्मकथांग का सांस्कृतिक अध्ययन का निर्माण करवाया। इस चिकित्साशाला में विभिन्न प्रकार के सोलह मरणांतक रोगों की चिकित्सा-सुविधा उपलब्ध थी।35 इससे स्पष्ट है कि आधुनिक यंत्रों के अभाव में भी आयुर्वेद खूब विकसित हो चुका था।
__ जलशुद्धिकरण के लिए भी पूर्णतः वैज्ञानिक विधियों का प्रयोग किया जाता था। सुबुद्धि अमात्य ने जल में से अशुद्धियों को पृथककर विशुद्ध जल राजा जितशत्रु को पिलाया।
युद्ध सामग्री के रूप में आयुद्ध (शस्त्र) व प्रहरण (अस्त्र) आदि का उल्लेख137 भी इस क्षेत्र में वैज्ञानिक प्रगति को व्यक्त करता है। स्वप्नमनोविज्ञान का उल्लेख भी ज्ञाता में मिलता है। रानी धारिणी के स्वप्न का फलादेश स्वप्न पाठकों द्वारा बतलाया गया है।38 इस प्रकार स्पष्ट है कि तत्कालीन समय में विज्ञान अपने पूर्ण यौवन/उत्कर्ष पर था।
उपर्युक्त विवेचन के आधार पर कहा जा सकता है कि तत्कालीन संस्कृति अत्यन्त समृद्ध थी। समाज भौगोलिक, आर्थिक, सामाजिक एवं राजनैतिक दृष्टि से सुदृढ़ था। समाज में धर्माचरण वंदनीय था। शिक्षा एवं कला की दृष्टि से भी समाज उन्नत अवस्था में था। विज्ञान की विभिन्न शाखाएँ विस्तार पा रही थी। समाज में दर्शन, साहित्य व भाषा का स्थान भी उच्च था। इन सभी सकारात्मक परिस्थितियों में व्यक्ति का सर्वांगीण विकास स्वाभाविक था।
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