Book Title: Gautam Pruccha
Author(s): Purvacharya
Publisher: Indrachand Agarchand Seth

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Page 13
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ************* www.kobatirth.org ॥ श्री वीतरागाय नमः । ॥ श्री गौतमपृच्छा ॥ ॥ मूल टीका कथा टिप्पणी समेता च ॥ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वीरं जिनं प्रणम्यादौ, बालानां सुखबोधिकां । श्रीमद्गौतमपृच्छायाः कुर्वेऽहं वृत्तिमद्भुताम् ॥१॥ नमिण तित्थनाहं, जाणतो तह य गोयमो भयवं । अबुहाण बोहणत्थं, धम्माधम्मं फलं पुच्छे ॥१॥" व्याख्या:- नत्वा तीर्थनाथं, जानन् तथा गौतमो भगवान् । अबुधानां बोधनार्थ, धर्माधर्मफल पप्रच्छ । १ ॥ गाथा: - भयवं सुच्चिय नरयं (१) सुच्चिय जीवो पयाइ पुण सग्गं (२) । सुच्चिय किं तिरिए (३), सुच्चिय किं माणुसो होइ (४) ॥ २ ॥ व्याख्या:- हे भगवन् ! स एव जीवश्च्युत्वा नरकं याति ? स एव जीवः पुनः स्वर्गं किं याति ? स एव जोवस्तिकिमुत्पद्यते ? स एव जीवो मनुष्यः किं भवति १ ॥ २ ॥ गाथा: - सुच्चिय जीवो पुरिसो (५), सुच्चिय इत्थी (६) नपुंसओ (७) होइ । अप्पाउ (८) दीहाउ (९), होइ अभोगी (१०) सभोगी (११) य ॥ ३ ॥ For Private And Personal Use Only ******** ****** 11211

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