Book Title: Gautam Pruccha
Author(s): Purvacharya
Publisher: Indrachand Agarchand Seth
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श्री गौतमपृच्छा । ॥२२॥
पञ्चमपष्टप्रश्नो ॥
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पञ्चमषष्टप्रश्नोत्तरमाहपञ्चमप्रश्नः-(श्रीगौतमस्वामी पृच्छति-हे भगवन् ! हे दीनबन्धो! हे करुणासागर ! स्त्री मृत्वा पुरुषः (५) षष्टप्रश्नः(पुरुषश्च मृत्वा स्त्री (६) कथं भवति ?) (उत्तरः) भगवानुवाच
गाथा-संतुट्ठा सुविणीया, अलवजुत्ता य जा थिरा निच्च । सच्चं जंपइ महिला, सा पुरिसो होइ मरिऊणं ॥२१॥
व्याख्याः -या स्त्री संतोषिणी भवति, सुविनीता भवति, सरलचिचा च स्थिरस्वभावा भवति, पुनर्या स्त्री नित्यं सत्यं ब्रूते सा मृत्वा पुरुषो भवति, यथा नागिला मृत्वा पद्मश्रेष्ठिरूपा जाता ॥२१॥
गाथा-जो चवलो सदुभावो, मायाकवडेहिं वंचए सयणं । न कस्स य विसत्थो, सो पुरिसो महिलिया होइ ॥२२॥
व्याख्या-यः पुरुषश्चपलस्वभावः शठभाव इति मूखः कदाग्रही च, पुनर्मायाकूटकपटैः कृत्वा स्वजन वश्चयति, न च कस्यापि विश्वस्तोऽर्थाद्विश्वासघातकरः स पुरुषो मृत्वा स्त्री भवति । यथा नागिलो मृत्वा पद्मश्रेष्ठिनः स्त्री पद्मिनी जाता ॥२२॥
(स्त्रीवेदस्य इमे आश्रवाः-ईर्ष्या विषादः गृद्धिः मृषावादो अतिक्रता परदाररतासक्तिः। पुरुषवेदस्य इमे आश्रवाः-स्वदारमात्रसन्तोषः, अनीा , मन्दकपायता, अवक्राचारशीलत्वम् । नपुंसकवेदस्य इमे आश्रवाः-स्त्रीपुंसानङ्ग
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॥२२॥
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