Book Title: Gautam Pruccha
Author(s): Purvacharya
Publisher: Indrachand Agarchand Seth

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Page 56
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra श्री गौतमपृच्छा ॥४४॥ *********** www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अथ चतुर्दशम पञ्चदशम प्रश्नोत्तरमाह चतुर्दशमप्रश्नः - (श्रीगौतमस्वामी पृच्छति - "हे दयासिन्धो ! हे कृपासागर ! हे कृपालो भगवन् ! केन कर्मणा स चतुर्दशमजीवो मेधावी भवति ? १४ ) पश्चदशम उत्तरः- (भगवान् महावीरप्रभुः कथयति - हे गौतम !) गाथा - जो पढह चिंतड़ सुणे, अन्नं पाढेह देह उवएसं । सुयगुरुभत्तिजुत्तो, मरिउं सो होइ मेहावी ॥ ३० ॥ व्याख्याः– यः १शास्त्रं पठति चिन्तयति गुणोति च तथैत्र अन्यं पाठयति धर्मोपदेशं च ददाति, पुनः शास्त्रस्य गुरो यो भक्तिकारको भवति, स जीवो मृत्वा मेधावी भवति । यथा मतिसारमन्त्रिपुत्रः सुबुद्धिमान् निजबुद्ध्या राजलोके वल्लभो जातः । पञ्चदशमप्रश्नः - (श्री गौतमस्वामी पृच्छति- "हे दयानिधे ! हे कृपासिन्धो ! भगवन् ! केन कारणेन स जीवो दुर्मेधा भवति ?” (१५) उत्तरः- (महावीरप्रभुः कथयति - हे गौतम ! ) गाथा - तवनाणगुणसमिद्धी, अवमन्नइ किर न याणइ एसो । स मरिऊण अहनो, दुम्मेहो जाय १ अभ्यन्तर तपनु वर्णन करवु . For Private And Personal Use Only **************************** ste प्रश्नौ ॥ 118211

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