Book Title: Dravyadrushti Prakash
Author(s): Vitrag Sat Sahitya Prasarak Trust
Publisher: Vitrag Sat Sahitya Trust Bhavnagar

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Page 16
________________ दिया है मै उन सभीका कृतज्ञ हूँ । इस प्रकार उल्लिखित शीर्षकवाला आलेख समादरणीय श्री शशीभाईजीने, मेरी छोटी बहिन द्वारा पूर्व प्रकाशित जीवन परिचय, मेरे द्वारा समय समय पर बतलाये तथ्यो, अन्य परिचितोकी भेटवार्ता, तथा ग्रन्थके पत्रोके आधारसे संकलित व संपादित कर बडे ही रोचक तथा हृदयग्राही भावोमे प्रस्तुत किया है । निस्संदेह यह आलेख सिर्फ मेरे पिताश्रीका जीवन-वृत्तांत नही है, अपितु यह त्रिकालवर्ती ज्ञानी धर्मात्माओकी अन्तर्वाह्य दशाका जीवंत चित्रण है। तत्त्वतः साधकके बाह्य उदयप्रसंगोकी असमानता, चित्रविचित्रता तो मात्र पूर्व प्रारब्धोदयको अनुसरण करती है परन्तु उसी काल उससे भिन्न वर्तती मूल, अनुदयरूप अन्तर्दशा सम्यक् पुरुषार्थको अनुसरती है। और ऐसी सत्पुरुषार्थधारा सर्व ज्ञानी धर्मात्माओको निरन्तर वर्तती है जिससे त्रिकालवर्ती साधकोमे साम्यपना रहता है । उक्त आलेख मुमुक्षुओके लिए अत्यन्त प्रेरणास्पद है, अपनी दशाके प्रमाणीकरणका पैमाना है और ज्ञानी धर्मात्माओके अन्तर्वाह्य जीवनकी समीचीन पहचानसे सहज स्फुरित होनेवाली भक्ति वहुमानका समर्थ निमित्त है। प्रस्तुत ग्रन्थकी एक और विशेषता है कि इसमे श्री सोगानीजीकी विभिन्न मुद्राके कई चित्र दिये गये है। इसी प्रकार ग्रन्थके मुखपृष्ठको भी आकर्षक बनाकर नए परिवेशमे प्रस्तुत किया जा रहा है। अन्तमे, मै श्री वीतराग सत् साहित्य-प्रसारक ट्रस्टका आभारी हूँ कि जिन्होने इस ग्रन्थको प्रकाशित किया है ।.... अस्तु । - रमेशचन्द्र सोगानी 560000000000 अनुक्रमणिका ० प्रथम खण्ड आध्यात्मिक पत्र । पृ. १ से ५५ . द्वितीय खण्ड पूज्य गुरुदेवश्रीके प्रवचन • पृ. ५७ से ७६ ० तृतीय खण्ड तत्त्वचर्चा : पृ. ७७ से १९६ MANOOOO

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