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द्विसन्धान-महाकाव्य का सन्धानात्मक शिल्प-विधान सहित इन्द्रजित (मेघनाद) द्वारा रावण का स्वागत । नगर की स्त्रियों का रावण के दर्शनार्थ उमड़ पड़ना। कष्टसाध्य एवं असह्य कामबाधा से पीड़ित रावण के लंकावास का वर्णन । रावण का स्वजनों के साथ राजनैतिक उपायों पर विचारविमर्श।
पाण्डवकथा-पाण्डवों का द्वारका-प्रस्थान वर्णन । द्वारका के समीपस्थ समुद्र का वर्णन । भीम या अर्जुन द्वारा द्वारका-वर्णन । द्वारका पहुँचने पर श्रीकृष्ण द्वारा युधिष्ठिर का स्वागत । नगर की स्त्रियों का युधिष्ठिर के दर्शनार्थ उमड़ पड़ना। दुर्योधन की असह्य मनमानी से पीड़ित युधिष्ठिर का द्वारकावास । युधिष्ठिर का स्वजनों के साथ राजनैतिक उपायों पर विचार-विमर्श ।
नवम सर्ग मायासुग्रीवनिग्रहजरासन्धबलविद्रावणम् । रामकथा-सीता-अपहरण के अनन्तर शोक-सन्तप्त राम द्वारा सीता को ढूंढना । सुग्रीव द्वारा किष्किन्धा में साहसगति द्वारा फैलाये जा रहे त्रास तथा पटरानी तारा को बलात् हस्तगत करने की घटना का वर्णन । राम द्वारा दण्ड-नीति को प्रयोग करने का निश्चय । किष्किन्धा में राम-साहसगति का घनघोर युद्ध । साहसगति -वध । राम द्वारा किष्किन्धा-प्रवेश । सुग्रीव द्वारा राम से अपनी पुत्री के साथ विवाह करने का प्रस्ताव रखना । राम को सुग्रीव द्वारा धन-समर्पण।
पाण्डवकथा- शरत्काल में भी जरासंध का शोक-संताप से जलना। नारायण के घात की प्रतिज्ञा-पूर्ति के लिये ताम्बूल आदि का त्याग । ग्रीष्म ऋतु का आगमन । ग्रीष्म ऋतु की उग्रता का वर्णन । जरासंध की सेना का श्रीकृष्ण की ओर प्रस्थान । क्रोधाभिभूत श्रीकृष्ण का पाण्डवों सहित युद्ध-हेतु आगमन । घनघोर युद्ध-वर्णन । जरासंध-पराजय। कृष्ण-बलराम का सौराष्ट्र-स्थित द्वारकापुरी में प्रवेश । अर्जुन के पराक्रम से प्रसन्न होकर श्रीकृष्ण द्वारा अपनी बहिन सुभद्रा के साथ विवाह करने का अर्जुन से प्रस्ताव रखना। श्री कृष्ण द्वारा अर्जुन-सुभद्रा-परिणय की तैयारी। ..