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सन्धान-कवि धनञ्जय की काव्य-चेतना २. रामपालचरित
इस महाकाव्य की रचना सन्ध्याकरनन्दि ने की थी। इसके प्रत्येक पद्य के दो अर्थों में से एक नायक-राम से सम्बद्ध है तथा दूसरा रामपाल से । राजा रामपाल ग्याहरवीं शती में बंगाल के शासक थे। ३. नाभेय-नेमिकाव्य
यह महाकाव्य मुनिचन्द्र सूरि के प्रशिष्य तथा अजितदेव सूरि के शिष्य हेमचन्द्र सूरि (लगभग बारहवीं शताब्दी का प्रारम्भ) की रचना है। यह स्वोपज्ञ टीका से युक्त है । सिद्धराज तथा कुमारपाल राजाओं के समकालीन कवि श्रीपाल ने इसका संशोधन किया था। इसमें ऋषभदेव तथा नेमिनाथ के चरित्र का वर्णन है। ४. राघवपाण्डवीयम्
यह कविराज कृत द्विसन्धान शैली का महाकाव्य है। कविराज को माधवभट्ट, सूरि या पण्डित नामों से भी जाना जाता है । राघवपाण्डवीयम् में रामायण तथा महाभारत की कथाओं का एकसाथ ग्रथन किया गया है । जयन्तीपुर के कदम्बंवशीय राजा कामदेव (११८३-९७ई) कविराज के आश्रयदाता थे, उनकी प्रशंसा उन्होंने खुलकर की है। उन्होंने कामदेव की तुलना धाराधीश मुंज (९७३-९५ ई.) से की है। ५. राघवनैषधीयम्
यह कवि हरदत्त (१८वीं शताब्दी) की रचना है । इसके प्रत्येक पद्य के दो अर्थ किये जा सकते हैं-एक राम से सम्बन्धित तथा दूसरा नल से।
१. विन्टरनित्ज़,एम.: हिस्ट्री आफ इंडियन लिटरेचर,भाग ३,खण्ड १,पृ.८२ २. उपाध्ये,ए.एन.:द्विसन्धान-महाकाव्य का प्रधान-सम्पादकीय,पृ.२० तथा जैन सिद्धान्त
भास्कर,भाग ८,किरण १,पृ.२३ ३. उपाध्ये,ए.एन.: द्विसन्धान महाकाव्य का प्रधान सम्पादकीय,पृ.२० ४. कृष्णमाचारियर,एम.: हिस्ट्री आफ क्लासिकल संस्कृत लिटरेचर,दिल्ली,१९७४,
पृ. १९४,काव्यमाला सिरीज़- ५७, निर्णयसागर प्रैस,बम्बई,१९२६ में प्रकाशित