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सन्धान-कवि धनञ्जय की काव्य-चेतना गोद में ले लेने का उल्लेख आया है। इसका फल ‘अठारहों श्रेणियों के कल्याणकर्ता शान्त पुत्र की प्राप्ति' बताया गया है ।२ ५. कुमारभृत्य
___ आयुर्वेद के अन्तर्गत गर्भ सम्बन्धी चिकित्सा-पद्धति अथवा जच्चा स्त्री की परिचर्या आदि ‘कुमारभृत्य' कही जाती है । इस विद्या को प्राय: वृद्ध लोग तथा राजा जानते थे ।३ द्विसन्धान में इस विद्या के अन्तर्गत अग्नि आदि आठ दैवी उपसर्गों के निवारण की विधि, गर्भपात निरोध के उपाय तथा विष प्रयोग के परिहार आदि का परिगणन किया है।४ स्त्रियों की स्थिति
__ वैदिक काल में स्त्री का समाज में सम्माननीय स्थान बना हुआ था। पुरुष के समान ही उसे घर में तथा घर से बाहर समान अधिकार प्राप्त थे।५ किन्तु, सूत्रकाल में, विशेषकर स्मृति ग्रन्थों के रचना काल तक समाज में स्त्रियों की दशा अत्यन्त शोचनीय बन पड़ी थी।६ मध्यकालीन भारत में भी स्त्री पूर्ववत् शोषित रही, किन्तु सामन्तवादी भोग-विलास की परिस्थितियों ने नारी को भोग्या के रूप में प्रतिष्ठित कर दिया था। सातवीं-आठवीं शती से रचे गये साहित्य में नारी का शृङ्गारिक वर्णन समाज के उच्चवर्गीय सामन्त आदि राजाओं की सौन्दर्योपभोग की लालसाओं को उद्वेलित करने के विशेष माध्यम रहे थे । इस उद्देश्य-पूर्ति के लिये नारी को केन्द्र बनाकर तत्कालीन साहित्य में स्त्री-सौन्दर्य के अतिशय का जोर-शोर से गुणगान किया गया। इस सन्दर्भ में यह ध्यातव्य है कि मध्यकालीन भारत के युद्धों ने नारी की स्थिति को विशेष प्रभावित किया था। इस समय नारी भोग्या के रूप में युद्ध-स्थलों में भी जाने लगी थी। यहाँ तक कि युद्ध पराक्रम वर्णन के
१. द्विस.,३.१० २. वही ३. वही,३.६ ४. वही ५. Altekar, A.S. : The Position of
Civilisation, p. 339 ६. वही, पृ. ३४५ ७. द्विस.,७६६-७३ ८. वही,१४९-१२
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