Book Title: Dhananjay Ki Kavya Chetna
Author(s): Bishanswarup Rustagi
Publisher: Eastern Book Linkers

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Page 324
________________ ३०४ सन्धान-कवि धनञ्जय की काव्य-चेतना -श्रेणी-२१४-१५, २३३, २३९, २६४.सचिव-२२७ -अमात्य-२१४, २२७, २३२ संचारी भाव-१२३-२४, १४७-४९ -गणक-२१४ सत्-२५२ -चतुरंगिणी सेना-२१४, २२७ सन्धान-विधा (नानार्थक/द्वयर्थक)-२४, २३३-३४, २४२ ४५, ४८,५८-५९,६८-७०,८०,८२, अश्व सेना-२१४, २३४, २४२ ८४-८५, ८७, ८९, ९२-९३, ९६, पदाति सेना-२१४, २३४ १०१,१०५, १०७,११०,१४४,१५२, रथ सेना-२१४, २३४ १७२, १८५, १९८, २५२, २६६-६७ हस्ति सेना-२१४, २३४, २४२ सन्ध्याकरनन्दी-२४, ३८, ७१, ९० -चतुर्वर्ण (ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य । सप्तच्छद-२४२ और शूद्र)-२१४ सप्तसन्धान-महाकाव्य-१-२, ३८, -तलवर-२१४ ४०-४२, ७१, २६७ -दण्डाधिपति-२१४ सप्ताङ्ग राज्य (सप्त प्रकृति)-२१३ -पुरोहित-२१४, २२८, २४५, २५१ -अमात्य-२१३ -मन्त्री-२१४, २२७ -कोष-२१३ -महत्तर-२१४, २२८ -दण्ड-२१३ -महामात्य-२१४ -दुर्ग-२१३, २२९ -राजश्रेष्ठी-२१४ -मित्र-२१३ -सेनापति-२१४, २२७ -राष्ट्र या जनपद-२१३ षष्ठिक (धान)-२४० -स्वामी-२१३ षाड्गुण्य-२१५-१७ समन्तभद्र-५१ -आसन-२१६-१७ समयसुन्दर-३९, ४१ -द्वैधीभाव-२१६-१७ समराइच्चकहा-२८-२९ -यान-२१६-१७ समवशरण-२५० -विग्रह-२१६-१७ समवृत्त-२०५, २०९ -संश्रय-२१६-१७ समानयन-१००-१ -सन्धि-२१६-१७ समसोक्ति-७० संवाद-सूक्त-६, ७, ११, ४१ समुच्चय-१९५-९६ संस्कार विधान-२५०-५१, २६४ सम्भवणाहचरिउ-२२ संस्कृत साहित्य का इतिहास-१६, ४६ सम्यग्दर्शन-२५३ सङ्कर-१९७-९८ सरमा-पणि सूक्त-७ सगर (राजा)-११७ सरस्वती-४५, ५६, १०४

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