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सन्धान-कवि धनञ्जय की काव्य-चेतना घटनाएं नाट्य-सन्धियों से अनुप्रेरित होकर महाकाव्य के कथानक-प्रवाह को आकर्षक एवं प्रभावशाली बनाती हैं।
युगीन मूल्यों की अनुप्रेरणा पाकर महाकाव्य में युद्ध-वर्णनों आदि के माध्यम से तत्कालीन राज-चेतना को विशेष प्रश्रय दिया गया है तो दूसरी ओर तत्कालीन सामन्तवादी भोग-विलास एवं स्त्री-सौन्दर्य सम्बन्धी चित्राङ्कनों के द्वारा शृङ्गार रस का भी विशेष नियोजन हुआ है । संक्षेप में द्विसन्धान परम्परागत मूल्यों से अनुप्रेरित एक ऐसा महाकाव्य है जिसमें युगबोध की काव्य-प्रवृत्तियों को भी विशेष वरीयता दी गयी है।