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छन्द-योजना
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कामक्रीडा आदि से शरीर की क्लान्तता आदि विषाद को भी साकार किया है । इसके अतिरिक्त समवृत्तों का अधिकाधिक प्रयोग कर शब्दाडम्बरपूर्ण शब्दालङ्कारों तथा चित्रालङ्कारों के नियोजन का मार्ग सुगम बनाया है । द्विसन्धान जैसे कृत्रिम महाकाव्य में इस प्रकार की विषयानुकूल छन्द-योजना कवि की छन्द:- शास्त्र में पारङ्गतता का निदर्शन कराती है ।