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सन्धान-कवि धनञ्जय की काव्य-चेतना षष्ठ सर्ग :
खरदूषणवधगोग्रहनिवर्तनम् रामकथा-राम का अनुसरण करते हुए लक्ष्मण का युद्ध-भूमि को प्रस्थान । खर-दूषण से भीषण युद्ध । सेना को ध्वस्त कर खर-दूषण को निस्तेज करना। युद्ध-समाप्ति पर युद्ध-स्थल का वर्णन ।
पाण्डवकथा भीम का अनुसरण करते हुए अर्जुन का युद्ध-भूमि को प्रस्थान । विराट् के गोधन की रक्षा के लिये शत्रु-सेना से भीषण युद्ध । सेनाओं को छिन्न-भिन्न कर गोधन को चुराने के लिये बनाये गये कीचक (बाँस) के बाड़े का भेदन । युद्ध-समाप्ति पर युद्ध स्थल का वर्णन।
सप्तम सर्ग सीताहरण-लङ्काद्वारावतीप्रस्थानकथनम् रामकथा-शरद्-ऋतु-वर्णन । खर-दूषण का संहार हो जाने पर सूर्पणखा को समझाने के लिये रावण का आगमन । रावण के आगमन से भयभीत समस्त चराचर का वर्णन । सूर्पणखा द्वारा सामादि के प्रयोग से समस्त दण्डकारण्य के गुणों का उल्लेख करना और उस पर आधिपत्य जमाये रखने के लिये रावण को प्रेरित करना । सूर्पणखा द्वारा सीता के सौन्दर्य का वर्णन एवं उसका अपहरण करने के लिये रावण को उकसाना । सुन्दरी सीता को देखकर एवं अत्यन्त निकृष्ट उद्वेग को प्राप्त कर रावण द्वारा सीता का अपहरण । तदुपरान्त दक्षिण में समुद्र-तट पर जाना।
पाण्डवकथा गोधन पर घेरे की समाप्ति होते ही शरत्काल का प्रारम्भ । शरद्-ऋतु-वर्णन । शरत्काल में देवों और दैत्यों द्वारा कामोपभोग। भीम द्वारा युधिष्ठिर को जरासंध से किये गये अपमान का प्रतिशोध लेने की सम्मति । शरद्-ऋतु के कारण परिस्थितियों की अनुकूलता का वर्णन । युधिष्ठिर द्वारा नीतिपूर्ण वचनों में अपने अनुज को समझाना।
___ अष्टम सर्ग रावणयुधिष्ठिरलङ्काद्वारावतीप्रवेशकथनम् रामकथा-सीता-अपहरण के अनन्तर सीता सहित रावण द्वारा लङ्काप्रस्थान । मार्ग में समुद्र-वर्णन । लङ्का-वर्णन । लङ्का पहुँचने पर विभीषण, कुम्भकर्ण