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आर्यमतलीला।
( १५ ) जेपी बुद्धि रखलपा। हिन्दुस्तानियों। बिद्या और कारीगरी की बातों में को ऐमी शिक्षा दी कि मनग्य अपने अपना बिचार लगाना नहीं चाहते बिधार से पदार्थों के गणों का प्रयोग हैं, जब कि सब लोग निरुद्यमी और करके नवीन कार्य उत्पादन नहीं कर पालमी हो रहे हैं और एक कपड़ा सकता है। ऐसी शिक्षा के प्रचार का सीने की सुई तक के वास्ते विदेशियह प्रभाव हया कि विद्या की जो योंके आश्रित हो रहे हैं ऐसे नाजक उमति हिन्दुस्तान में हो रही थी | ममय में स्वामी जी की यह शिक्षा कि वह बन्द हो गई और जो विज्ञानको मनुष्य अपने विचार से कुछ भी वि. बातें पैदा करली थीं आहिस्ता २ उन
जान प्राप्त नहीं कर सकता है हिन्दुको भी भल गये क्योंकि विचार शक्ति | स्तानियों के वास्ते जहर का काम को काम में लाये बिन विज्ञान की देती है। यदि स्वामी जी के प्रोंक बासों का प्रचार रहमा असम्भव ही | अनुसार वेदों में पदार्थ विद्या और हो जाता है। यह भी मालूम होता | कारीगरी प्रादिक की प्रारम्भिक शिक्षा है कि समाग्य के उदयसे हिन्दुस्तान
भी होती तो भी ऐसी शिक्षा कुछ में नशेकी चीजके पोने का भी प्रचार विशेष हानि न करती परन्तु वदों में उस समय में बहुत हो गया था जिम तो कुछ भी नहीं है सिवाय प्रशंमा को सोम बहते थे । इस से रहा महा और स्तुति के गीतों के और वह भी जान बिलकल ही नष्ट होगया और | इस प्रकार कि एक २ विषय के एक इस देश के मनुष्य अत्यंत मूर्ख और ही मजमून के सैकड़ों गीत जिनको मालमी हो गये।
पढ़ता २ प्रादमी सकताजावे और यदि वेदों के अर्थ जो स्वामी जी ने बात एक भी प्राप्त न हो । खैर यह तो किये हैं वह टीक हैं तो इन अर्थोसे
हम आगामी दिखावेंगे कि वेदों में यह ही ज्ञाप्त होता है कि इस मूर्खता
क्या लिखा है ? परन्तु इस स्थानपर के समय में ही वेदों के गीत बनाये तो हम इतना ही कहना चाहते हैं गये क्योंकि स्वामी जी के अर्थों के | कि यदि कोई बालक जो ममष्यों से अनसार वेदों में सिवाय ग्रामीण म. | अलग रक्ता जावे । केवल एक वेदपाठी नयों के गीत के और कछ नहीं है। गुरु उसके पास रहै और उमको स्वामी है. वेदों में कुछ भी हो हमको तो | जीके अर्थ के अनुमार सबवेद पढ़ा देने शोक इस बात का है कि स्वामी जी | तो वह बालक इतना मी बिज्ञान प्राप्त इस वर्तमान समय में जब कि हिन्दु- न कर सकेगा कि छोटीसे छोटी कोई स्ताममें अविद्या अन्धकार फैला हुमा | वस्तु जो गांवके गंवार घनालेते हैं है जब कि हिन्दुस्तानी लोग पदार्थ | बनालेवे । गांवके बाढ़ी चर्खा यमालेते