Book Title: Aryamatlila
Author(s): Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Jain Tattva Prakashini Sabha

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Page 174
________________ १७० आर्यमतलीला ॥ ईदृशेश्वरसिद्धिःसिद्धा ॥ सां० ॥३॥| अर्थ यद्यपि प्रधान अर्थात् प्रकृति अवेतन है परंतु दुग्ध की तरह कार्य अर्थ-ऐमे ईश्वर की मिद्वि मिद्ध है । | उसके चेष्टित होते हैंभावार्य इन दोनों सूत्रों का यह है| कपिनाचार्य ने मांख्यदर्शन में ई. कि सांख्यकार जीव और प्रकृति यह घर की प्रसिद्धि में इतना जोर दिया। दोही पदार्थ मानता है मांख्यकार शी-है कि प्रथम अध्याय के सूत्र ९२, ३. 1 व को निर्माण और क्रिया रहित अका | और ४ में जैसा कि इन सूत्रों का अर्थ ा सिद्ध करता है और सष्टि के मर्द हमने ऊपर दिया है, ईश्वर की अमि. कार्य प्रकृति से ही होता हुआ बता-द्वि माफ साफ दिखाकर भागे यहां तक ता है इम ही कारमा मांख्यकारने H-लिखा है कि पूजा उपासना भी मुक्त कृति का नाम प्रधान रक्ता है और जीवों को ही है और शब्द.भी उनके उमदी को मर्व कार्यों का कारण ही बनाया है न किमी एक ईश्वर की बताया है। पूमा उपासना है और न उसका कोई सांख्यकार कहना है कि प्रधान (प्र-शब्द ना उपदेश प्रमाण है जैमा कि कृति) ही सब कुछ जानने वाला और निम्नलिखित मत्रों में विदित होता. सब कुछ करने वाला है और यदि उ मुक्तात्मनः प्रगंमा उपामा मिदस्य. को ईश्वर माना जावे तो वेशक एसे ई.या ॥ मां ० १ ॥ सू० ८५ घर का होना सिद्ध है- | अर्थ-प्रशंमा उपामना मुक्त आत्मा मन्त्र ५८ में प्रकृति का कर्ता होना | की है वा मिद्ध कीस्पष्ट हो जाता है | तस्मभिधानादधिष्ठातृत्वं मणिवत् प्रधानसष्टिः परार्य स्खतोऽप्यभोक्त- ॥ सा ॥ २१ ॥ सू० ९६ स्वादुष्ट्रकुंकुम वहनवत् अर्थ-उसके सानिधान मे ममि के स. अर्थ-यद्यपि प्रधान अर्थात् प्रकृति | मान अधिष्ठाताधना है अर्थात् मुक्त सष्टि को करती है परंतु वह मष्टि द्र- वा सिद्ध जीवों की उपासना का का. सगे के लिये है क्योंकि उम में स्वयं रण यह नहीं है कि बढ़ कुछ देते हैं। भोग की सामथ्र्य नहीं है भाग 3मका | या कोई कार्य मिद कर देते हैं वरमा | जीव ही करते हैं, अमे इंट हा कुम उनके मविधान ने दी प्रमर पाता है। को लादकर ले जाना पाक निलय है. इस कार गा मुक्ति जीवों को अधिष्ठा-1 | और सय ५० में प्रकृति को मगझदा- नापना है। la के कार्य मिद किये है. विशेष कारपेष्वपि जीवानाम् ॥मां० "सचेतनत्वेऽपिन्नीरज येष्टितं प्रधा- ० १॥ मू०१७ नस्य”. अय--विशेष कायों में संमारी श्रीवों - -

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