Book Title: Aryamatlila
Author(s): Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Jain Tattva Prakashini Sabha

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Page 188
________________ | १४ माधमतलीला करनेसे प्राणीमात्र की भाषाका जान करना है तो हिन्दुस्तान के महात्माओं होता है-अर्थात् पातंजलि ऋषिका और ऋषियोंने जो भात्मिक शक्तियों यह मत है कि योगीको सर्व जीवोंकी की खोजकी है और जिस कारण यह भाषा समझने का पान होसक्ता है हिन्दुस्थान सर्वोपरि है उसको समझो। भावार्थ जानवरों को भी बोली समझ और मुक्तिके सच्चे मार्गको पहचानो। सका है। संस्कारमाक्षात् करणास् पूर्व शान्ति इित शुभम्। ज्ञानम् ॥३॥ १८॥ अर्थ--संस्कारों के प्रत्यक्ष रोनेसे पूर्व जम्मका जान होता है। "कपटकपेक्षुत्पिपासानिवृत्तिः ३९ अर्थ--कंठ के नीचे कपमें संयम करने से भूख और प्यास नहीं रहती। "मू ज्योतिषि पिद्धदर्शनम् ॥३॥३१ अर्थ-कपालस्थ ज्योतिमें संयम कर. नेसे सिद्धोका दर्शन होता है। “ यदान जयांजल पंककंटकादिष्य | सं उत्क्रान्तिच " ॥३॥ ३८ अर्थ--उदानादि वायुके जीतनेसे कंटकादि का स्पर्श नहीं होता और तस्क्रान्ति भी होती है। " काया काशयोः सम्भन्धसंयमाल घतलममापत्तेवाकाश गनमम् ,, ३॥४१ वर्ष-शरीर और प्राकाशके सम्बन्ध से संयम करनेसे और लघु आदि - दायों की समापत्तिसे भाकाश गमन | सिद्ध होता है। प्यारे बार्य भायो ! विशेष हम | क्या करें आपको यदि अपना कल्या! Naid - RRIENCE A LAN HASTARTPH ENGTONE TAGRAT PANE P4 P

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