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आर्यमतलीला ॥ से गायात विद्या मिद्धकी है और अंकों क्या चीज है (निदानम् ) अर्थात् कारसे जो गणित विद्या निकलती है वह ण जिम में कार्य उत्पन्न होता है वह निश्चित और असंख्यात पदार्थों में नि- क्या चीज है ( प्राज्यं ) जगत में जानने युक्त होती है और अज्ञात पदार्थों की के योग्य मार भत क्या है ( परिधिः ) मरूया जानने के लिए जो बीजगणित परिधि किमको कहते हैं ( छन्दः ) स्वहोता है मो मो ( एकाच भे. ) इत्या- तंत्र वस्तु क्या है (प्र ३०) प्रयोग और दि मन्त्रों ही से मिद्ध होता है जसे शब्दों में स्तुति करने योग्य क्या है (अ+क) ( अ-क ) ( क ) इत्यादि इन मात प्रश्नों का उत्तर यथाबत दिया संकेत से निकलता है यह भी वदो ही जाता है ( यहे वा देव०) जिस को मन मे ऋषि मुनियों ने निकाला है और विद्वान् लोग पूजते हैं वही परमेश्वर इमी प्रकार से तीसरा भाग जो रेखा प्रमा आदि नाम वाला है इन मंत्रों गणित है मो भी वेदों ही मे मिद्ध में भी प्रमा और परिधि आदि शब्दों होता है (अना ) कुन मन्त्रके म. मे रेवा गगित साधने का उपदेश परकेतों से भी बीज गणित निकलता है। मात्मा ने किया है मो यह तीन प्र.
(इयवेदिः अभि प्र०) इन मन्त्रों में कार की गागात विद्या आर्यों ने वदो रेखागणित का प्रकाश किया है क्यों में ही मिद्ध की है और इमी प्रायवर्त कि वेदी की रचना में रेखागणित का देश में मर्वत्र भगोल में गई हैभी उपदेश है जैने तिकोन चौकोन मेन । वाह स्वामी जी वाह ! आपने खब पक्षी के प्राकार और गोल प्रादि जो सिद्ध कर दिया कि गणितकी मब विद्या वेदी का आकार किया जाता है मो मंमार भर में वदो से ही गई है-अब आर्यों ने रेखागणित ही का द्रष्टान्त जिनकी इम विषय में संदेहर है ममझना माना था क्यों कि ( परोसन्तः पृ० )
चाहिये कि वह गागात विद्या को ही पृथिवी का जो चारों ओर घरा है उन |
उन नहीं जानता है परन्तु स्वामी जी इन को परिधि और ऊपर मे जो अन्त तक को तो एक संदेह है कि गणित विद्य जो पृथिवी की रेखा है उमको व्याम के मिखाने के वास्ते आपके परमात्मा कहते हैं । इपी प्रकार मे इन मन्त्री उपरोक्त तीनचार मंत्र वेदों में क्यों लिखे में प्रादि, मध्य और अन्त आदि रे- मारी गणित विद्या के सीखनेके वास्ते खात्रों को भी जानना चाहिये इमी तो एक ही मंत्र बहुत था और आपके रीति मे तिर्यक बिपवत् रेखा श्रादि | कथनानुमार एक भी मंत्र की आवश्यभी निकलती है -॥३॥ ( काली अं०) | कता नहीं थी वरण एक और एक दो अर्थात् यथार्थ ज्ञान क्या है (प्रतिमा) | इतना ही शब्द कह देना बहुत था इम जिम पदार्थों का तोल किया जाय मी ही से सारी गणित विद्या प्राजाती