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पुत्र
आर्यमनस्ली ला ॥
( ५३ ) ऋग्वेद मप्तममंडल मूक्त १६ । जिम में सुगम हिन्दी भाषा में भी हे वलबान के पुत्र विद्वान्
वेदों के अर्थ प्रकाश किये गये हैं और ऋग्बद प्रथममंडल सूक्त ४८
जो वैदिक मंत्रालय अजमेर से मिलते | हे पूर्ण वनयुक्त के पुत्र
हैं पढ़ें और वदों के मजमून को जांचें। ऋग्वद प्रथममडल मूक्त 90
स्वामी जी कहते हैं कि वह ईश्वर हे प्रकाश युक्त विद्वान् बलयुक्त पुरुषके कृत हैं हम कहते हैं कि वह ग्रामीगा
कबियों के बनाये हुवे हैं-स्वामी जी ___ ऋग्वेद तीसग मंडल मुक्त २४ ।।
कहते हैं कि उनमें सर्व प्रकारका ज्ञान हे राजधर्मके निवाहक वलयान के पुत्र
है हम कहते हैं कि वह धामिक वा __ ऋग्वेद सप्तममंडल मूक्त १८
लौकिक ज्ञान की पुस्तक नहीं हैं बल्कि हे राजा क्षमा शीन रखने वालके पुत्र
ग्राम के किसान लोग जैसे अपनी माऋग्वेद प्रथम मंडल मूक्त १२१
धारण बुद्धि से गीत जोड़ लिया करते
हैं वैसे गीत वेदों में हैं और एक एक हे बुद्धिमान्के पुत्र
विषय के सैकड़ों गीत हैं बिल्कुन्न बे ___ऋग्वेद प्रथममंडल मुक्त १२२ । विद्याकी कामना करते हुए का पुत्र में तरता
प तरतीब और ब मिल सिला संग्रह प्यारे प्राय: भाइयो ! वेदों के इन उ
किये हुवे हैं आपको हमारे इस सव पर्युक्त वाक्यों को पढ़कर आपको अव
कथन पर अचम्भा पाता होगा और श्य आश्चर्य हुआ होगा और विशेष
मम्भव है कि कोई भाई हमारा कथन आश्चर्य इन बातका होगा कि स्वामी पक्षपात से भरा हुआ समझता हो पदयानन्द सरस्वतीजी में श्राप ही वदों | रन्तु हम जो कुछ भी लिखते है वह के ऐसे अर्घ किये और फिर आप ही इम ही कार गा लिखते कि आप लोगों मत्यार्थप्रकान और वंदभाष्य भमिका को वदों के पढ़ने की उत्तेजना हो। में लिखते हैं कि मष्टि की आदि में | स्वामी जी के वेद भाष्य में जो अर्थ बिना मा बाप के उत्पन्न हरा मनयां | हिन्दी भाषा में लिखे गये हैं वह बमें वेदप्रकाश किये गये । परन्तु प्यारे हुत सुगम हैं पाप की समझ में बहुत भाइयो ! आपने हमारे प्रथम लेखों के | आसानी से भामक्त हैं । इस हेतु आप द्वारा पूरै तीर से जान लिया है कि अवश्य उनको पढ़ें। जिससे यह मब स्वामीजी के कथन अधिकतर पर्वापर बाते आप पर विदित हो जावें । यबिरोधी होते हैं। हम कारण आपको द्यपि हम भी स्वामी जी के भाष्य में उचित है कि आप सत्यार्थप्रकाश और से कुछ कुछ वाक्य लिखकर अपने सब वंदभाष्य भमिका पर निर्भर नर हैं,बरण कथन को सिद्ध करेंगे। परन्तु हम कहां स्वामी जी के बनाये वेद भाष्य को, | तक लिखेंगे ? आप को फिर भी यह