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भार्यमतलीला ॥
(११) हम लोग पार्मिक और शूरवीर हो| अज्ञानी रहना विल्कुल अ. पर अपने विजय के लिये ( बज्ज )| प्रमाण सिद्ध होजाता है परन्तु गनों के बलका नाश करने का हेतु जो कुछ भी हो उन का कथन कितना मायाखादि अस्त्र और ( घना) श्रेष्ठ ही पूर्वापर विरुद्ध हो जावै और चाहे शत्रों का समूह जिनको कि भाषा में उनके मारे मिद्धान्त श्राप से श्राप खंतोप बंदूक तलवार और धनुषवागा डित होजावे परन्तु स्वामीजी को तो मादि कर के प्रसिद्ध करते हैं जो युद्ध रेल तारबर्की, और तोप बन्दूक का की सिद्ध में हेतु हैं उन को ग्रहण क- नाम किमी न किसी स्थान पर लिख
कर यह जाहिर करना था कि वेदों में बद्धिमान पुरुषो ! बिचार करो कि सर्व प्रकारकी विद्या भगी हुई है। अब वज और घना हम दो शब्दों हम स्वामी दयानन्दजीके ही वेदों के के अर्थ में किम प्रकार तोप बंदूक श्रा
अर्थोंको नीचं निखकर दिखाते हैं कि दिक अनेक हथियार घमेड गये हैं: किस प्रकार वेदों में तीर और गर्म और परन्तु हमारा काम यह नहीं है कि / कवचकाही वणन किया है और उन हम स्वामी जी के प्रों में गलती नि.का अवस्था एस हा हाथयारोके धारण काले प्योंकि हम तो प्रारम्भ मे वेदो करनेकी थी । वेदोंके गीत बनाने वाले के विषय में जो कह स्मिख रहे हैं बह ग्रामीण लोग तोप बन्दूकको स्वप्न में स्वामी जी के ही अर्थों के अनुमार | भी नहीं जानते थे । और यदि उस लिखरहे हैं और आगामी भी उनही | ममय तोप बन्दूक होते तो शरीर को के प्रों के अनुमार लिखेंगे । इस का- | कवचसे क्यों ढकते ? ॥ रख इमतो केवल इतनाही कहना चा-| ऋग्वेद मप्तम मंडल सूक्त १६ ऋ०२-५ हते हैं कि वेदों में कहीं भी तोप बं- “बिजली के तुल्य बजको दुष्टों पर दूक के बनाने की विधि नहीं बताई प्रहार कर-हे हाथमें बज रखने वाले , गई है वरन तीर, कमान, बज वा घना ऋग्वेद बठा मंडल सक्त २२ ऋचार के बनाने की भी बिधि नहीं मिखाई " दाहिने हाथ में (बजम ) शख है जिस से यह ही जात होता है कि और अखको धारण करिये।" वेदों के प्रकाश से पहले से मनुष्य ऋग्वेद छठा मंडल सूक्त २३ | तोप बंदक शादिक का बनाना जानते “भजात्रों में बज को पारख करते। थे जिससे वेदों का सष्टि की हुए जाते हो।
ऋग्वेद छठा मंडल मूक्त २७ ऋचा ६ आदिमे उत्पल हाना आर"तीस सेकडे कवच को धारण किये हुए। वेदों के विना मनुष्यों का ग्वेद छठा मंडल सूक्त ७५ चा९-१६-१७