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प्रार्यशतलीशा : #
सुत्रों के अर्थ मूषा सिखाने योग्य कश | जो नीलगाय वह बन के लिये को जुगविशेष है वह रुद्र देवता बाला जो कथि नामका पक्षी मुर्गा और कौमा हैं वे घोड़ों के अर्थ और जो कोकिला है वह काम के लिये अच्छे प्रकार नवे चाहिये ।
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नाम वाला पशु और मान्य नामी विशेष जन्तु हैं वे पालना करने वालों के अर्थ बल के लिये बड़ा संप अग्नि जादि वसुओं के अर्थ कपिंजल नामक जो कबूतर उल्लू और खरहा हैं वे मिऋति के लिये और बरुवं के लिये (नोट) अफसोस है कि न तो बेद बनेला मेढ़ा जानना चाहिये ।,, बनाने वाले परमेश्वरने ही वेदमें लिखा (नोट) यह बात हमको बंदों से हो और न खामी दयानन्द जीने अपने मालूम हुई कि वर्षा को मेंडक हो में जाहिर किया कि बड़ा बकरा जिस लाती है, यदि मेंडक न बुलावे तो शा के कंठ में बन है बुद्धि के वास्ते किस यद वर्षा भावे । यदि ऐसा है तो प्रकार कार्यकारी हो सक्ता है ? शायद मेंडक को अवश्य पूजना चाहिये क्यों प्रार्य भाइयों के कान में स्वामी जी कि वर्षा के विटून जगत के सर्व मनु- इसकी तरकीब बता गये हों और off का नाश हो जाये । वर्षा हो म श्रार्य भाइयोंने ऐसी कोई तरकीब को नुध्य की पालना करती है और वर्षा भी हो। यह ही कारण मालूम होता खाती है मेंहकों के बुलाने से तबलो | है कि वह ऐसे बड़े बुद्धिमान् होगये हैंमहक ही सारे जगत के प्रतिपालक कि बेदों के गंवारू गीतों को ईश्वरका वाक्य कहते हैं क्योंजी बुद्धिमान् आर्य भाइयो ! स्वामी दयानन्दजीने तो वेदों को प्रकाश करके उनका भाग्य बनवार जगत्का उपकार किया है आप कृपा कर इतना ही बता दीजिये कि जुर्ने और कब्बे घोड़ों के अर्थ किस प्रकार हैं ? ॥
हुये। भाईयो ! जितना २ आप विचार | करेंगे आपको यह हो सिद्ध होगा कि यह गंवारों के गीत हैं ? ग्रामी बुद्धि होम माड़ी लोगों का जैसा विचार था. वैसे बेतुके और वे मतलब गीत उन्होंने जोड़ लिये । बेचारे भेड़ बकरी चराने वाले गंवार इससे अच्छे और क्या गीत जोड़ सकते थे ? ॥
ऋचा ४०.
ऋचा ३०
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"हे मनुष्यो: तुम को जो ऊचे और “हे मनुष्यों तुमको जो चित्र विधि | पैने सींगों वाला गेड़ा है वह सब त्र रंगवाला पशु विशेष वह समय के द्वानोंका जो काले रंग वाला कुत्ता बड़े Maraों के अर्थ जो ऊंट तेजस्वि विकानों वाला गदहा और व्याघ्र हैं सब शेष पशु और कंठ में जिसके यम ऐसा वे सब राक्षस दुष्ट हिंसक हबवियों बड़ा बकरा है वे सब बुद्धि के लिये के अर्थ जो अमर है वह शत्रुमों को