________________
मार्यमतलीला।
के वास्ते पीते थे जिसको स्वामी जीने | है वह पसबाहोंके अर्थ जो ऋश्यजाति
औषधि लिखा है और हमने अपने का मृग मयूर और अच्छे पंखों वाला पिल लेखों मैं भंग सिद्ध किया है उस विशेष पक्षी है वेगाने वालों के और सोमके साथ कलंग नामका पश वा / जलोंके अर्थ जो जलचर निंगचा है वह गली बकरा किस प्रकार युक्त किया
| महीनों के अर्थ जो कछुमा विशेष एग जा सका और उससे या कार्य सिद्ध कुंचवाची नामकी बनमें रहने वाली होता है हमारी समझ नहीं पाया? का मालात
पश जाति है वह किरण, प्रादि पदा मनष्यो! तमको जिसका सर्व देवतायो के अर्थ और जो काले गुण वाला है यह गुलिया तथा जो पपीहा पक्षी विशेष पशु है वह मृत्यु के लिये जान सृजय नामवाला और शयांड पक्षी हैं ना चाहिये। वे प्राय देवता वाले शुग्गी पुरुष के स- (मोट ) अपसोस है कि परमेहर ने मान बोलने हारा शुग्गा नदी के लिये जिसको वेदका बनाने वाला कहा जा. सेही भमि देवता वाली जो केशरी सिंह ता मृत्यु के लिये जो पशु है उस भेहिया और सांप हैं वे क्रोध के लिये का कछ भी पता नदिया केवल इतना तथा शद्धि करने हारा शमा पक्षि और ही कह कर छोड़ दिया कि काले गुब जिसकी मनुष्य की बोली के समान वाला विशेष पशु । स्वामी दयानन्द बोली है वह पक्षी समुद्र के लिये जा-जी के कथनानुसार वेद तो मनुष्योंको नना चाहिये।
| उस समय दिये गये जब वह कुछ नहीं भाचा ३६
जानते थे और जो बिद्यावेद में नहीं हेमनष्यो! तुमको जोहरिणी है वह है उसको कोई मनुष्य जान नहीं ब. दिन के अर्थ जो मेंडका मूषटी और कता है। पदि ऐसा है तो घेद के बतीसरि पाखी हैं वे सपो के अर्थ जोनाने वाले परमेश्वर को यह न सूझी कोई बनचर विशेष पशु वह अश्व देव- कि जगत् के मनुष्ष मृत्यु के पशु को ता वाला जो काले रंगका हरिण प्रा- किस तरह पहचानेंगे? और वह परदि है वह रात्रि के लिये जो रीख जतू मेश्वर वेद में यह भी लिखना भल गया माम वाला और मुषिली का पक्षी है कि उस पशु का मत्यु से क्या सम्बंध है वे और मनुष्यों के अर्थ और अंगोंका मृत्य के लिये उस पशु से क्या और संकोच करने हारी पक्षिणी विष्णु दे किस प्रकार काम लेना चाहिये ॥ बता वाली जानना चाहिये।,
ऋचा ३८ ऋचा ३७
हे मनुष्यो! तुम को जो वर्षा को बुहे मनष्यो! तुमको जो कोकिला पक्षी लाती है वह मेंडकी वसन्त श्रादि .
-
-
-