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मार्यमतलीला #
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वेदों से भित्र मनुष्य को किसी प्रकार को भी विद्या नहीं हो सकती है । स्वामी जी ने वेदभाग्य भूमिका में वेद की एक ऋषा लिखकर जिसमें यह
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से ही संसार के मनुष्यों में सीखी है | स्वामी जी मे तो सारी वैद्यक सिखा दी परंतु हम ऐसे भागे हैं कि हम पर इस मंत्र का कुछ असर न हुवा और हम को किमी एक भी औषधिका नाम वा उस का गुण मालूम न हुआ इस कारण हम की इस बात के खोज कदार्थ है ?- इस हेतु हम इस की खोज रने की जरूरत हुई कि सोम क्या प वेदों ही से करते हैं
विषय था कि एक श्रौर एक दो और दो और एक तीन होता है यह सिद्ध कर दिया है कि वेदों में सारी गणित विद्या भरी हुई है। और किसी किसी स्थान में जबरदस्ती रेल, तारबर्को | श्रौर घाग पानी के जिन का नाम घुमेड़ कर यह विदित कर दिया है कि वदों में मधे प्रकार की कलों की विद्या है । और एक सूक्त के अर्थ में ज़बर
'वेदों में अनेक स्थान में सोम का पोना मद अर्थात् नशे के वास्ते वर्णन किया है स्वामी जी ने मद का अर्थ श्रानन्द किया है इस अर्थ से भी नशे की पुष्टि होती है क्योंकि नशा नं
दस्ती तोप बंदूक का नाम इस बातकेद के ही वास्ते किया जाता है वेदों में स्थान स्थान पर सोम को मदके वास्ते ही पोने की प्रेरणा की है परंतु हम उनमें से कुछ वाक्य स्वामी जी के वेद भाध्यके हिन्दी अर्थोंसे नीचे लिखते हैं। ऋग्वेद उठा मंडल सूक्त ६८ ऋचा १०
का शब्द
जाहिर करने के वास्ते लिख दिया है कि सर्व प्रकार के शस्त्रों की विद्या भी वेदों में है । इसी प्रकार सोम को अर्थ प्रौषधि का समूह करने का यह ही मंशा मालूम होती है कि यह सिद्ध होजाये कि वेदों में सब प्रकार की प्रौषधियों का भी वर्णन है और है भी ठीक जब औषधि समूह वेदों में आ गया तो धन्य कौन मो औषधि रही जो वेदों में नहीं है ? बरम यही कहना चाहिये कि वैद्यक, यूनानी हिशमत डाक्टरी आदिक जितनी विद्या इस समय संसार में प्रचलित हैं वा जो जो श्रौषधि जागामी को निकाली जायेगी वह भी सब वेदों में मौजूद हैं"प्रौषधि
( मद्यम् ) जिससे जीव प्रानन्द को प्राप्त होता है उस सोम को पियोऋग्वेद तीसरा मंडल सूक्त ४१ ० ९ सङ्ग्राम और (मदाय ) ज्ञानन्द के लिये ( मोम ) श्रेष्ठ औषधि के रसका पान करो और पेट में मधुर की को सेवन करो ।
लहर
ऋग्वेद चौथा मंडल सूक्त १४ ० ४ हे स्त्री पुरुषो ये क्रिम कारण जाप दोनों के (सोमः ) ऐश्वर्य के सहित पदार्थ इस मेल करने योग्य गृहाश्रम में मधुर समूह" यह मंत्र लिखकर गुणों से पीने योग्य के लिये होते हैं
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