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भार्यमतलीला। मेरे गौमों के सैकड़ों और बीशों संख्या प्रकार कामना बा उनका उपदेश करता वाले ममूह को और युक्त उत्तम धुरा हुमा विद्वान् प्राप्त होता वा जाता है जिनमें उन ले चलने वाले घोहोंको भी तथा सत्तमता से बजता है उसका तुम | देता है उन तीन गुणों वाले पुरुष के लोग सेवन करो।" लिये श्राप गृह वा सुखको दीजिये।, (दध दहनेवाले ग्वालेकागीत)
ऋग्वेद प्रथम मडल सक्त १२० १०८ | | "आपकी रक्षासे हम लोगोंको दूध | "जैसे सुन्दर जिसके हाथ और गी को
| ऋगवेद प्रथम मंडल सूक्त १६४ . २६ भरे घनों से अपने बछड़ों ममेत मनुच्यादिको पालती हुई गोयें बछड़ोंसे 30
| दुहता हुआ मैं इस अच्छे दुहाती - रहित अर्थात् बन्ध्या मत हों और वे
योत् कामोंको पूरा करती हुई दूध देने हमारे घरोंसे विदेश में मत पहुंचे।" वाली गौ रूप विद्याको स्वीकार कर" ऋग्वंद छठा मंडल सूक्त ५ -१० ऋगवेद मंडल छटा सूक्त १ ऋ०१२
"हे भब प्रोरसे पविद्याके प्रकाश"हे वसने वाले आप हम लोगों में - करने वाले जो आप की व्याप्त होने और पुत्रके लिये पशु गौ श्रादिको तथा बाली, जिस में गौएं परस्पर मोती हैं...गृह और... अन्न आदि सामग्रियों को
और जिससे पशुओं को मिद्ध करते हैं। बहुन धारणा करिये जिमसे हम लोगों वह क्रिया वर्तमान है उम से आपके
के लिये ही मनुष्यों के मदृश फल्यान सुखको हम लोग मांगते हैं। ,
कारक उत्तम पकार संस्कार से युक्त अन्न " हे पशु पालने वाले विद्वान श्राप |
में हुए पदार्थ हों। हम लोगोंके लिये प्राप्तिके अर्थ गौओंको
ऋगवेद पंचम मसहल सू०४१ ऋ.१ अलग करनेवानी और घाहोंका विभाग
| "यज्ञ की कामना करते हुए के लिये
हम लोगों की रक्षा करिये वा प ओं करने वाली और अन्नादि पदार्थ का विभाग करने वाली उत्तम बुद्धिको |
और अन्नों के मदृश हम लोगोंके लिये |
भोगोंको पाप्त कराइये ।, मनष्यों के तुल्य करो।,
ऋग्वेद छठा मंडल सूक्त ५८ ऋ०२) ऋग्वेद पृथम मंडल सू० २८ ३० ९.२ "हे मनुष्यो जो भड़ बकरी और घोड़ों को रखने वाला जो पशुओं की रक्षा
"हे ( इन्द्र ) ऐश्वर्य युक्त कर्मके करने करने वाला तथा घर में अक्षोंको रख | वाले मनुष्य तुम जिन यज्ञ प्रादि व्यवने वाला बद्धिको तृप्त करता है वह हारों में बड़ी जड़का जो कि भमिसे कह समग्र संसार में स्थापन किया हुआ | ऊंचे रहनेवाले पत्थर और मूसनको अपुष्टि करने वाला शिधि और पदार्थों बादि कूटने के लिये युक्त करते हो उनमें में व्याप्त बुद्धि और गृहों की अच्छे | उसली मूमलके कटे हुए पदार्थों को ग्रहण