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आर्यमतमीला ॥ स्वामी दयानन्द सरस्वतीजीके वेदों, सार तो हमारे अनुमान में प्रायः एक के अर्थोंस यह मालूम होता है कि वेदों निहाई वेद शत्रओंके मारने के गीतोंके बनानेके ममय में एक ग्रम | को ही चर्चामें भरा हुआ है वामियोंका दूसरे ग्राम बामियों से नि- ऐमा भी मालूम होता है कि संग्राम त्य युद्ध रहा करता था और बहुत कुछ लड़के वास्ते भी होता था अर्थात् शमार धाड़ रहती थी-आज कल भी द-त्रओं को पराजय कर के उनको लटलेते खने में प्राता है कि एक ग्राम याले दू-थे और नटको पोद्धा लोग आपस में सरे ग्राम वाले को खतो काट लेते हैं बांट लाते थे हम स्वामी दयानन्द के पश घरा लगाते हैं वा मीमापा झवेद भाष्यक हिन्दी अर्थोसे कच वाक्य गड़ा हो जाता है परन्तु मत्र ग्राम | | इस विषय में नीचे निखते हैंवाले एक राज्यके आधीन होने के का- ऋग्वेद नीमरा मंडन सक्त ३७ ऋ०५ रण आज कल लड़ाई नहीं बढ़ती है। जिस प्रकार सेना का अधीशमैं-- बरमा अदालतमें मुकदमा चलाया जा- शत्रुके नाशके लिये तथा संग्रामों में ता है परन्तु उस समय जैसा हमने गत | धन आदि को बांटने के लिये | लेखमें सिद्ध किया है ग्रामका चौ | राजाको ममीप मैं कहता हूं वैसे आप
| लोग भी इमके समीप कही--, धरी वा मुखिया ही उस ग्रा.
ऋग्वद पंचम मंडल सूक्त ६२ ऋ०९ मका जमीन्दार वा राजा हो | "जिमसे हम लोग विभाग कतांथा इस कारण ग्राम के मव लोग जानते
रते हुए शत्रुओंके धनों की जी. उमही के साथ होकर दूमरे ग्राम वालों
"तने की इच्छा करने वाले हवे-, से लहा करते घ और मनप्य बध कि ऋबंद छठा मंडल मुक्त २० ऋचा १० या करते थे--तुम ममय का इ कोई राजा
" श्राप रहगा श्रादि से हम लोग ऐमा भी होता था जो दो चार वा अ-मान नारियांका विभाग करें।, धिक ग्रामोंका गाजा हो और लड़ाई वेदांके गीतों के बनाने वाले कवियों में कई २ ग्राम के राजा भी मम्मिलत का ऐमा बिचार था कि मेघ अर्थात् वाहोजाया करते थे- वटामें शत्रओं दल पानीकी पोट बाध लेता है और को जान से मारडालने और पानी की भूमि पर नहीं गिरने देता
.! है-सर्दी जो मनष्यों का बहुत उपकारी
है वह वादल से युद्ध करता है और की प्रेरणा के विषय में बहुत का प्ररणा क विषयम बहुतमार मार कर बादलोंको तो हालता
अधिक गीत भरे हुए हैं खामी है तब पानी परमता है वेदों के कदयानन्द सरस्वतीजीके अर्थों के अनु- | वियों ने बादलोंको मार डालने के का