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प्रार्यनतलीला ||
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दश महीने पार होते हैं इन बद्धि से | कारण जब हम उस देवी देवता का
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हम लोग विद्वानों के रक्षक होवें और इस बुद्धिसे पाप वा पापसे उत्पन्न दुःख का अत्यन्त विनाश करें आपकी मुख!
ध्यान करते हैं तो वह हमको जो पूछते हैं, मो बतादेना है या कोई २ ऐसा कह देते हैं कि देवी वा देवता का विभाग करता है जिससे उन बुद्धि | हमारे सिर आता है और उस ममय जो कोई कुछ पूछे तो वह ठीक २बता देता है- भारतवर्ष के मूर्ख और भोले मनुष्य और विशेष कर कुपड़ स्त्रियें ऐसे लोगोंक बहकाये में छा जाती हैं और अपने बच्चों के रोगका कारण वा प्र
को प्राणों में मैं धारण करू"
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इसके पढ़ने से स्पष्ट जात होता है कि वेदका बनाने बाला और विशेष कर हम सूक्त का बनाने वाला बर्षके दस ही महीने जानता था हमको पढ़
कर तो हमारे आर्या भाई बहुत चौंके । पते और कुटुम्बियों के किसी कष्ट का गे और बंदों को पढकर देखना आवश्य जरुरी नमझेंग – हम आगे चलकरवेदों | हेतु और उनका उपाय पूछते हैं जिस | की पूढा लेना कहते हैं और बहुत कुछ भेंट देते हैं और मेवा करते हैं श्री
से ही माफ तौर पर यह मिलकर दें वेंगे कि वे ऐसे ही विद्या अधकार समय में बने हैं और उनमें मती कर भंगी आदिक देवी देवताके भक्त मे वाले और गांव के गंवार मातृअटकनपच्च मन घड़न्त बातें बताकर लो गीतके नियाय और कुछ भी नहीं | उनको सूत्र उगते हैं-है । इम ममय तो इनको केवन यह दुनियां दिखाना है कि बंद ईश्वर वाक्य हो । के वास्ते जाते हैं जानते हैं कि यह सक्ते हैं या नहीं ।
जो उनसे पूछा पूकने
आर्य मत लीला |
भक्त लोग माधारथा और छोटे मनुष्यों में हैं और अपने नित्यके व्यवहार में ऐसे हो मुख हैं जैसे इनके अन्य भाई बन्धु और प्राचरजा भी इन के ऐसे ही हैं जैसे इनके अन्य भाई बन्दों. रखने वाले परन्तु उन पर श्रद्धा लोग कहते हैं कि हम को इनकी बुद्धि और श्रावसकी जांच तो नम्र करनी होती जब यह भक्त लोग यह कहते कि हमको इतना ज्ञान हो गया है कि गुप्त बात बतामकें-- पर यह तो ऐसा नहीं कहते हैं वह तो यह ही कहते हैं कि हम को तो कभी ज्ञान
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भ्रातृगण हो ! अविद्या अन्धकार के कारण आाशकन इस भारतवर्ष में अनेक ऐसी प्रवृत्ति हो रही हैं जिनसे भीने ! मनुष्य ठगे जाकर बहुत दुख उठाते हैं दृष्टान्त रूप विचारिये कि भंगी, चमार, कहार और जुलाहा सादिक छोटी जातियों में कोई २ स्त्री पुरुष ऐसा क हदिया करते हैं कि इनकी किसी दे atar देवताका इष्ट है, वह हम पर प्रसन्न है, और हम उसके भक्त हैं इन