Book Title: Aradhanasar
Author(s): Devsen Acharya, Ratnakirtidev, Suparshvamati Mataji
Publisher: Digambar Jain Madhyalok Shodh Sansthan
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पृष्ठ संख्या
ॐ विषय - सूची है
विषय * संस्कृत टीकाकार का मामलादरण और पौरिक वाक्य * ग्रन्थकर्ता श्री देवसेनाचार्य द्वार। मलाचरण और टीकाकार के द्वारा
उसके बारह अर्थों का वर्णन * आराधना का लक्षण और उसके भेद * व्यवहाराराधना के लक्षण और भेद
व्यवहार - सम्यग्दर्शन आराधना का लक्षण तथा निर्देश आदि अनुयोगों के द्वार। उसका विस्तृत वर्णन
व्यवहारसम्यग्ज्ञान-आराधना का लक्षण
* व्यवहार चारित्राराधना का लक्षण और संस्कृत टीकाकार के द्वारा चारित्र के भदों
का विस्तार से निरूपणः व्यवहार तप आराधना का लक्षण, संस्कृत टीकाकार के द्वारा तपों का निरूपण और निश्चयनथ के जिज्ञासु सपक को पहले व्यवहाराराधना की अच्छी तरह उपासना
करना चाहिए, उसका वर्णन * शुद्धनय की अपेक्षा वर्णन * निश्चयाराधना का विशेष वर्णन * आराधना; आराध्य; आराधक और आराधना के फल का निश्चय नय से वर्णन
निश्चयाराधना के रहते हुए व्यवहाराराधना से क्या साध्य है? इसका समाधान
व्यवहाराराधना, निश्चयाराधना का कारण है * क्षपक संसार से कैसे मुक्त होता है? इसका समाधान; कारण और कार्य के विभाग को
जानकर ही यह जोव संसार से मुक्त होता है * आत्मा की आराधना से रहित जी चतुर्गतिरूप संसार में परिभ्रमण करता है * संसार के कारणभूत अनेक अनम्बनों को छोड़कर शुद्ध आत्मा की आगधना करनी चाहिए। * व्यवहाराराधना भी परम्परा से मोक्ष का कारण है