Book Title: Aradhanasar
Author(s): Devsen Acharya, Ratnakirtidev, Suparshvamati Mataji
Publisher: Digambar Jain Madhyalok Shodh Sansthan
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* किन लक्षणों से युक्त पुरुष आराधक होता है? इसका समाधान + परद्रव्य का चिन्तक विराधक होता है * निश्चय नय से आत्मा को न जानने वाले पुरुष को बोधि; * समाधि और आराधना का अभाव होता है ऐसा वर्णन; अर्ह, संगत्याग तथा कषाय
सल्लेखना आदि अधिकारों की नामावली __'अह' नामक अधिकार के अन्तर्गत संगत्याग तथा कषाय सल्लेखनाधारण करने के
अर्ह-योग्य कौन होता है? इसका वर्णन
निश्चय अर्ह का लक्षण * संगत्याग अधिकार के अन्तर्गत बाह्य और अन्तरङ्ग परिग्रह का त्याग करने वाला
पुरुष सल्लेखना का धारक होता है, ऐसा वर्णन
कषाय-सल्लेखना नामक अधिकार के अन्तर्गत मन्द कषायी कौन होता है इसका वर्णन * कषाय-सल्लेखना के बिना शरीर की सल्लेखना व्यर्थ है * कषायों की बलवत्ता का वर्णन * कषायवान् जीव संयमी नहीं होता है
कषायों के कृश होने पर ही क्षपक ध्यान में स्थिर होता है कषाय-सल्लेखना का फल परिषहचमू विजय नामक अधिकार के अन्तर्गत परिषहों का स्वरूप और
उनके जीतने का वर्णन * परिषहरूपी सुभटों से पराजित हुए पुरुष शरीरसुख की शरण में जाते हैं * परिषहरूपी सुभटों से पराभूत हुआ मुनि कैसी भावना से उन्हें जीत सकता है इसका वर्णन * तीव्रवेदना से आक्रान्त क्षपक को उपशम भावना करना चाहिये * परिषहरूपी सुभटों से भयभीत हुए क्षपक उपहास को प्राभ होते हैं * परिषह से भयभीत क्षपक को गुप्तित्रय रूप दुर्ग का आलम्बन लेना चाहिये * परिषहरूपी दावानल से संतप्त पुरुष को ज्ञानरूपी सरोवर में प्रवेश करना चाहिये