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वादी संजयके अनुयायी तत्त्वको अनिश्चित ही बतलाते थे । उपर्युक्त युगलोंमें लगनेवाली चार कोटियाँ इस प्रकार होती थीं
१. सदसद्वाद
( १ ) तत्त्व सत् है | ( २ ) तत्त्व असत् है । ३ ) तत्त्व उभय है । ( ४ ) तत्त्व अनुभय है ।
२. शाश्वत - अशाश्वतवाद
प्रस्तावना
( १ ) तत्त्व शाश्वत है । ( २ ) तत्त्व अशाश्वत है |
( ३ ) तत्त्व उभय है । ( ४ ) तत्त्व अनुभय है ।
३. द्वैत-अद्वैतवाद
( १ ) तत्त्व द्वैत है ।
( २ ) तत्त्व अद्वैत है ।
( ३ ) तत्त्व उभय है । ( ४ ) तत्त्व अनुभय है ।
४. वक्तव्यावक्तव्यवाद
( १ ) तत्त्व वक्तव्य है ।
( २ ) तत्त्व अवक्तव्य है ।
( ३ ) तत्त्व उभय है । ( ४ ) तत्त्व अनुभय है ।
१. दीघनिकाय सामञ्ञफलमुत्तमें संजयका मत 'अमराविक्षेपवाद' के रूप में मिलता है । अमरा एक प्रकारकी मछलीका नाम है । उसके समान विक्षेप ( चंचलता - अस्थिरता ) का होना - मानना अमराविक्षेपवाद है ।
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