Book Title: Aptamimansa
Author(s): Samantbhadracharya, Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 185
________________ १० س ع م ८६ م ११६ समन्तभद्र-भारती प्रतिषेध्याविरोधि ११३ बुद्धिप्रमाणत्व ८७ प्रतिबिम्बक ८५ बुद्धयसंचरदोष प्रत्यक्ष-आदि ५,७६ बोध १२,८५,८६ प्रत्यभिज्ञा-, न ४१-५६ प्रध्वंसधर्म-प्रच्यव भंग, भंगिनी १६,२०,२२,१०४ प्रमा-प्रमोक्ति १.८६ भागाभाव, भागित्व ६२ प्रमाण-फल १२,३६,३८,७९,८१, ___ भाव ९,१०,१२,२४,२९,४०,४१, ८३,८७,१०२ ४३,४७,६४,७१,८३ प्रमाणगोचर ३६ भावप्रमेयापेक्षा प्रमाणाभास-निन्हव ७९,८१,८३ भावापन्हववादी प्रमाता, प्रमाभ्रान्ति भावैकान्त प्रमेय भूतचतुष्क प्रमोद ५९ भेद १७,१८,२४,३३,३४,३६,४७, प्रयोजनादिभेद ५६,७२,१०५ भेदाभेदविवक्षा प्रसिद्ध ३४,३६ भ्रान्ति-संज्ञा ६७,६८,८४,८६ प्रागभाव मत, मतामृत ७,७६,१०० प्रत्यभाव २९,४०,४१ महान् फ, व माध्यस्थ्य फल-द्वैत १,४४,८४ बन्ध २५,४०,९६,९८,९९ मायादिभ्रान्तिसंज्ञा ८४ बन्ध-मोक्षद्वय (द्वत) २५ मायावी बहिरन्तर्मलक्षय ४ मिथ्या-समूह १०८,११४ बहिरङ्गार्थतैकान्त ८१ मिथ्यैकान्तता १०८ बहिःप्रमेयापेक्षा ८४,८६ मिथ्योपदेश बहिरन्तरुपाधि ४० मुख्य, मुख्यार्थ बाह्यार्थ ८६,८७ मूर्त-कारण-कार्य बुद्धि, संज्ञा ५६,७९,८५,८७,९१ मृषा ३१,४४,४९,६९,७९,११०, बुद्धिपूर्वव्यपेक्षा ११२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org | २५ माया

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