Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रमेयबोधिनी टीका पद ३ सू.३३ क्षेत्रानुसारेण द्वीन्द्रियाद्यल्पबहुत्वम् ३११
छाया-क्षेत्रानुपातेन सर्वस्तोकाः द्वीन्द्रियाः ऊर्ध्वलोके, ऊर्श्वलोकतिर्यग्लोके असंख्येयगुणाः, त्रैलोक्ये असंख्येयगुणाः, अधोलोकतिर्यग्लोके असंख्येयगुणाः, अधोलोके संख्येयगुणाः, तिर्यग्लोके संख्येयगुणाः, क्षेत्रानुपातेन सर्वस्तोका द्वीन्द्रिया अपर्याप्तकाः ऊर्ध्वलोके, ऊर्ध्वलोकतिर्यग्लोके असंख्येयगुणाः, त्रैलोक्ये असंख्येयगुणाः, अधोलोकतिर्यग्लोके असंख्येयगुणाः, अधोलोके संख्ये
द्वीन्द्रियजीवों का अल्पबहुत्व । शब्दार्थ--(खेत्ताणुवाएणं) क्षेत्र के अनुसार (सव्वत्थोया वेई. दिया उडलोए) सब से कम द्वीन्द्रिय ऊर्ध्वलोक में हैं (उडलोयतिरियलोए असंखिज्जगुणा) ऊर्ध्वलोक-तिर्यकूलोक में असंख्यातगुणा हैं (ते लोक्के असंखेजगुणा) त्रैलोक्य में असंख्यातगुणा हैं (अहोलोयतिरिय लोए असंखिजगुणा) अधोलोक-तिर्यक्लोक में असंख्यातगुणा हैं। (अहोलोए संखिज्जगुणा) अधोलोक में संख्यातगुणा हैं (तिरियलोए संखिजगुणा) तिर्यक्लोक में संख्यातगुणा हैं।
(खेत्ताणुवाएणं) क्षेत्र के अनुसार (सव्यत्थोवा बेइंदिया अपज्जतया उडलोए) सब से कम द्वीन्द्रिय अपर्याप्त जीय ऊर्ध्वलोक में हैं (उडुलोयतिरियलोए असंखिजगुणा) ऊर्ध्वलोक-तिर्यग्लोक में असंख्यातगुणा हैं (तेलोक्के असंखेजगुणा) त्रैलोक्य में असंख्यातगुणा हैं (अहोलोयतिरियलोए असंखेजगुणा) अधोलोक-तिर्यग्लोक में असंख्यातगुणा हैं (अहोलोए संखिजगुणा) अधोलोक में संख्यात
કીન્દ્રિય જીવનું અલ્પ બહુત્વ शहाथ-(खेत्ताणुवाएणं) क्षेत्रना ४थन प्रमाणे (सब्वत्थोवा बेइंदिया उड्ढ लोए) सौथी था। दीन्द्रिय ०१ छे (उड्ढलोयतिरियलोए असंखेज्जगुणा) Saas तिय सभा अध्यात छे. (तेलोक्के असंखेज्जगुणा) यो. ध्यमा मसण्यात छ. (अहोलोयतिरियलोए असंखिज्जगुणा) अधोसातियोभा असण्यात छ. (अहोलोए सखिज्जगुणा) अधोसोमां सध्यातमा छ. (तिरियलोए संखिज्जगुणा) तियोभा याता॥ छ. __(खेत्ताणुवाएण) क्षेत्र मनुसार (सब्बत्योवा बेइंदिया अपज्जत्तया उड्ढलोए) सौथी सोछविन्द्रियो २५५र्यात ७१ मा छे. (उड्ढलोयतिरियलोए असंखिज्जगुणा) 34'सो -तियसोभा असण्यात छ. (तेलोक्के असखेज्जगुणा) दोश्यमा मसण्यात छ. (अहोलोयतिरियलोए असंखेज्जगुणा) मधासोतिय सीमा मसण्यातमा छ, (अहोलोए सखिज्जगुणा) मधोटोमा
શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૨