Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रज्ञापनासूत्रे अधोलोके संख्येयगुणाः, तिर्यग्लोके असंख्येयगुणाः, क्षेत्रानुपातेन सर्वस्तोकाः पश्चेन्द्रिया अपर्याप्तकास्त्रैलोक्ये, ऊर्ध्वलोकतिर्यग्लोके संख्येयगुणाः, अधोलोक तिर्यग्लोके संख्येयगुणाः, ऊर्ध्वलोके संख्येयगुणाः, अधोलोके संख्येयगुणाः, तिर्यग्लोके असंख्येयगुणाः, क्षेत्रानुपातेन सर्वस्तोकाः पश्चेन्द्रियाः पर्याप्तकाः अप्रलोके, ऊर्ध्वलोकतिर्यग्लोके असंख्येयगुणाः, त्रैलोक्ये संख्येयगुणाः, अधोलोक दिया तेलोक्के) सब से कम पंचेन्द्रिय त्रिलोक स्पर्शी हैं (उडलोयतिरियलोए संखिजगुणा) ऊर्ध्यलोक-तिर्य ग्लोक में संख्यातगुणा हैं (अहोलोयतिरियलोए संखिजगुणा) अधोलोक-तिर्यग्लोक में संख्यात गुणा हैं (उडलोए संखेजगुणा) अवलोक में संख्यातगुणा हैं (अहोलोए संखेनगुणा) अधोलोक में संख्यातगुणा है (तिरियलोए असंखेजगुणा) तिर्यग्लोक में असंख्यातगुणा हैं।
(खे ताणुवाएणं) क्षेत्र के अनुसार (सव्वत्थोवा पंचिंदिया अपज्जत्तया तिलोक्के) सब से कम अपर्याप्त पंचेन्द्रिय त्रिलोकस्पर्शी हैं (उडुलोयतिरियलोए संखेज्जगुणा) ऊर्चलोक-तिर्य ग्लोक में संख्यात गुणा हैं (अहोलोयतिरियलोए सखेज्जगुणा) अघोलोक-तिर्यग्लोक में संख्यातगुणा हैं (उडलोए सखिज्जगुणा) अप्रैलोक में संख्यातगुणा हैं (अहोलोए संखिज्जगुणा) अधोलोक में संख्यातगुणा हैं (तिरियलोए असंखेज्जगुणा) तिर्य ग्लोक में असंख्यातगुणा हैं।
(खेत्ताणुवाएण) क्षेत्र के अनुसार (सव्वत्थोवा पंचिंदिया पज्जत्ता उडलोए) सब से कम पर्याप्त पंचेन्द्रिय ऊलोक में हैं (उडलोयतिरिसौथी माछ। ५येन्द्रिय त्रिव २५शी छे. (उडूढलोयतिरियलोए संखिज्ज गणा) eepal तियामा सन्यात ग छ. (अहोलोयतिरियलोए संखिजगणा) अधोसा तिर्थमा यात गण छे. (उड्ढलोए संखिज्जगुणा)
सभा सध्यात गए छ. (अहोलोए संखिज्जगुणा) अधासभा सभ्यात १६॥ छ, (तिरियलोए असखिज्जगुणा) तय सीमा मसयात गए। छ.
___ (खेत्ताणुवाएणं) क्षेत्र अनुसा२ (सव्वत्थोवा पंचिंदिया अपज्जत्तया तेलोक्के) सोथी गोछ। २५५र्याप्त पायेन्द्रिय ४ि २५शी छ. (उड्ढलोयतिरियलोए निजगणा) Bruar-तिय सभा सण्यात छ. (अहोलोए तिरियलोए संखिज्जगुणा) अधोखा-तिय सीमा सयात छ. (उड्ढलोए सखिज्जगुणा)
सभा सयात छ. (अहोलोए सखिज्जगुणा) अधोसोभा सध्यात. गया छ. (तिरियलोए असं खिज्जगुणा)
तिभा असण्यात छ. (खेत्ताणुवाएणं) क्षेत्र अनुसा२ (सव्वत्थोवा पंचिंदिया पज्जत्ता उड्ढलोए) सोथी था। पास पथेन्द्रिय भा छे. (उडूढलोयतिरियलोए असंखेज
શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૨