Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रमेयबोधिनी टोका पद ६ सू.८ नैरयिकाणामेकसमयेनोपपातनिरूपणम् १००१ पञ्चेन्द्रियतिर्यग्योनिकेभ्य उपपद्यन्ते, किं संमूच्छिमजलचरपश्चेन्द्रिय तिर्यग्योनिकेभ्य उपपद्यन्ते, गर्भव्युत्क्रान्तिकजल वरपञ्चेन्द्रियतिर्यग्योनिकेभ्य उपपद्यन्ते ? गौतम ! संमूच्छिमजलचरपञ्चेन्द्रियतिर्यग्योनिकेभ्य उपपद्यन्ते, गर्भव्युत्क्रान्तिकजलचरपञ्चेन्द्रियतिर्यग्योनिकेभ्य उपपद्यन्ते, यदि संमृच्छिमजलचरपञ्चेन्द्रियतिर्यग्यो. निकेभ्य उपपद्यन्ते, पर्याप्तकसंमूछिमजलयरपञ्चेन्द्रियतिर्यग्योनिकेभ्य उपपद्यन्ते ? __(जई जलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जंति) यदि जलचर पञ्चेन्द्रियतिर्यकयोनिकों से उत्पन्न होते हैं तो (किं समुच्छिमजलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जंति ?) क्या संमूछिम जलचर पंचेन्द्रिय तिर्यकयोनिकों से उत्पन्न होते हैं ? (गन्भवतियजल. यरपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जंति ) गर्भजजलचरपंचेन्द्रिय तिर्यंचों से उत्पन्न होते हैं ? (गोयमा !) हे गौतम ! (समुच्छिमजल. यरपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जति) संमूर्छिम जलचर पंचेन्द्रियतिर्ययोनिकों से उत्पन्न होते हैं (गम्भवक्कंतिय जलयर पंचिंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति) गर्भजजलचरपंचेन्द्रियतिर्यंचों से उत्पन्न होते हैं (जइ संमुच्छिमजलयरपंचिदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जंति) यदि संमूर्छिम जलचरपंचेन्द्रियतिर्यचों से उत्पन्न होते हैं (किं पजत्तयसंमुच्छिमजलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिए हिंतो उववज्जति ?) क्या पर्याप्त संमूर्छिमजलचर पंचेन्द्रियतिर्यचों से उत्पन्न होते हैं ? (किं अपज्जत्तयसंमुच्छिमजलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जति?) क्या अपर्याप्तकसंमृर्छि मजलचर पंचेन्द्रियतिर्यंचों
__ (जइ जलयस्पंचिंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उग्रवज्जंति) २ सय२ पाणीमा रडेवावा पयन्द्रिय तिय योनिमाथी पनि थाय छ (किं संमुच्छिमजलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहितो उत्रवज्जति ?) शुस भूछि सय२ ५'यन्द्रिय. तिय-योनिशोथी उत्पन्न थाय छ ? (गब्भवतिय जलचरपंचिंदियतिरिवखजोणिए हिंतो उबवज्जंति ?) म सय२ पयन्द्रिय तिय याथी उत्पन्न थाय छ ? (गोयमा !) गौतम ! (समुच्छिम जलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जति ?)
सभूछि भ य२ ५.येन्द्रिय तिमयोनिथी उत्पन्न थाय छे (गब्भवक्कंतिय जलयरपंचिंदियतिरिक्खजोगिंएहिंतो उववजंति) ४ सय ५येन्द्रिय तिय याथी उत्पन्न थाय छ (जइ संमुच्छिम जलयरपंचिदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उत्रवज्जंति) से सभूमि य२ पथन्द्रिय तिय याथी उत्पन्न थाय छे (किं पजत्तय समुच्छिम जलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जंति ?) शु
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શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૨