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तप्तोऽनुवत्स्यामि चिराय राघवम् II. 88.50c | ततोऽब्रवीद्दाशरथिः सुमन्त्रम् II. 52.13a ततो नेष्टमिदं सौम्य VI. 16.10a
ततोऽब्रवीद्धरिवरः VI. II3 I5a ततोऽन्तःपुरमाविद्धम् II. 57.27a ततोऽब्रवीदृश्यशृङ्गम् I 14 38c ततोऽन्तरागि सत्त्वानि VII. 62.5a ततोऽब्रवीद्राम मिदं सुदुःखिता II. 28.26d ततोऽन्तरिक्षं विपुलम् V. 58.55a ततोऽब्रवीद्वालिसुतः VI. 20.29a ततो न्यग्रोधमासाद्य II. 55.6a
ततोऽब्रवीद्विजान्वृद्धान् I. 13.6a ततोऽन्यच्छिखरं गृह्य VI. 54.24a ततोऽब्रवीन्नृपो वाक्यम् I. 12 4C ततोऽन्यत्पुप्लुवे वेश्म V. 6.17c
नतोऽबवीन्महातेजाः I. 8.4a , ,, V. 54.5a
II 30.9a ततोऽन्यत्र मया दृष्ट: V. 27.170
IV. 58.IIa , धनुरादाय III. 52.11a.
VI. 4.IC ततोऽन्य देशमास्थाय VII. 29.15a
, 59.84a , पातयत्क्रोधात् VI. 96.31a
, 74.26a , घृक्षमुप्ताट्य VI. 56.29a
, 75.1a ततोऽन्योन्यं सुसंरब्धा VI. 103.9a
VII. 30 9a ततोऽपराह्नसमये VII. 94.16c
ततोऽब्रवीन्महाबाहुः II. 56.18a ततोऽपरेण भल्लेन VI. 89.40a
ततोऽब्रवीन्मुनिश्रेष्ठः III. 13.12a ततोऽपरेधुस्तं देशम् I. I0.24a
ततोऽब्रुवन्सुराः सर्वे I. 37.2a ततोऽपश्यत्फुथासीनम् V. 9.33a
ततो भग्ना नृपतयः I. 66.24c ततोऽपश्यत्खगाधिपम् I. 4I.16b
,, भरतमायान्तम् II. 81.15a ततोऽपि शिशुनागानाम् III. 73.35a ,, भल्लशतानि च VII. 23.44b ततो बलानां संक्षोभः VII. 14.7a ,, भवति राक्षसः VI. 87.5b , बहुगुणं तेषाम् II. I03.16a ., भागार्थिनो देवान् I. 50.16a , बहुविधां चिन्ताम् V. 30.2c
, भित्त्वा महीं सर्वाम् I. 40.7a. , याणमयं वर्षम् VI. 70.28a ततोऽभिदुद्राव रणे नरेन्द्रम् VI. 67.157d , , , VII. 69.IIa ततोऽभिनामधेयं ते IV. 66.24c ,, वाणशतान्यष्टौ VII. 19.20a ततो भिन्नप्रहरणौ VI. 97.25a , बाष्पपरिक्लिनम् VI. II6.4a ततोऽभियोगादृषिरुग्रवीर्यवान् V. 47.33c , बुद्धघा विनिश्चित्य VII. I05.17c ततोऽभिवादयामास VII. 76.23c ,, ब्रवीत्तदा राम VII. 16.6a
ततोऽभिवाद्य त्वरिता: VII. 44.17a ततोऽब्रवीत्तां भव मे वशानुगा VI. 31.45d | ततोऽभिषिक्तं शत्रुघ्नम् VII. 63.18c ततोऽब्रवीत्समीपस्थम् III. II.77a ततोऽभिषिक्तो ववृधे VII. 63.13c ततोऽब्रवीत्सुसंक्रुद्धः VI. 8.9a
ततोऽभीषयदङ्गदम् IV. 54.7b ततोऽब्रवीद्दशग्रीवः VII. 25.14a
ततो भुक्तवतां तेषाम् II. 9I.63a , VII. 25-300
III. II.58a
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