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दत्त्वा ,, दक्षिणं नेत्रम् V. 38.35a ,, ,, मुसलं चान्यम् VI. III.II6c ,, ,, सह वैदेह्या II. 33.ra ,, त्वाभरणं तस्यै II. 7.33a ,, देवानुवाच ह VII. 6.19d
पश्चात्फलानि च II. 90.6b पुण्यामिमां वीर VII. I.28c प्रवाजितो वनम् VI. 32.5d बहुविधं राजा I. 74.6c महेन्द्रनिलयः I. 75.26a. रामाय भगवान् III. 12.37c
, हनुमान् V. 65.9a ,, वनमुपागम्य I. 75.8c ,, वरं चापि तपोधनानाम् III. 6.26a ,, श्राद्धमचेतना VI. 92.55b ,, हस्तेऽवनेजनम् III. II.62b दत्त्वेमे वरपादुके II. II5.20b दत्त्वोवाच ततः शम्भुः VII. I6.44a ददति स्म विधानतः II. 26.13d ददतुर्ब्राह्मणाय वै VII. 53.23d ददते तव मन्त्रिणः I. I). I6d ददर्श कपिकुञ्जर: V. 2.13d
" " ,4.9d ,, , ,, 18.26b ,, कपिशार्दूल: V. II.I3c
" , , I5c " " " 14.28c
,, ,, ,, 32c कपिसत्तमः V. 48.-gb ., कान्ताश्च समालभन्त्यः V. 5.13a ,, कांश्चिच्च पुनर्विरूपान् V. 5.16d ,, काश्चित्प्रमदोपगूढाः V. 5.18c ,, क्षतजोक्षिताम् VI. 73.49b ,, खरसैन्यं तत् III. 24.33a ,, गिरिनद्यश्च IV. 33.8c
ददर्श गिरिशृङ्गस्थान् III. 54.Ic ,, गिरिशृङ्गाभम् III. 2.4c ,, गृहमुख्यानि IV. 33.12c ,, च कुमारको VII. 66.5b ,, , नगात्तस्मात् V. 14.29a " , ननन्द च V. 4.9b , चन्द्रं स कपिप्रवीरः V. 2.55c ,, च पतन्नेव V. I.193a ,,, महाभागाम् I. 49.13a ,, जनकात्मजा VI. 32.33d , जनकात्मजाम् VI. 34.16b ,, जयतां श्रेष्ठः I. 51.28c
तद्वानरवीरसत्तमः V. 8.8d ,, तन्वीं मनसाऽमिजाताम् V. 5.23d , तं पर्वतसंनिकाशम् VI. 86.35c , तरसा नील: VI. 58.34c ,, तं राजपथम् II. I7.6a ,, तस्यां पुरि यातुधानान् V. 5.15d , तारा इव सुस्वभावाः V. 5.17d , तां राघवबाहुपालिताम् VI. 51.36c ददर्शतुर्महारूपाम् III. 69.IIC ददर्शतुर्मूगपतिम् V. 35.25a ददर्श त्रिदशोपमम् III. I7.6d
, त्रिदिवोपमम् III. 35.27b ,, दीनां दुःखार्ताम् V. 19.4c ,, दूरेऽग्रजमासनस्थम् VI. 62.40 ,, देवी परमेण चेतसा II. 24.38b ,, धनदानुजः III. 35.20d
" , 36d ,, VI. 31.IId ,, धनुरूर्जितम् IV. 19.25b , धन्विनं दूरात् VI.7I.IOC , धरणीतले II. I0.24b
धीमान्पवनात्मजः कपिः V. 8.Id धीमान्भुवि भानुमन्तम् V. 5.IC
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