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येन त्वामभिजानीयाम् IV. 12.38c ,, दत्तं महाद्धम् IV. 22.270 ,, देवात्रयस्त्रिंशत् V. 23.TOC ,, दृष्टौ ममात्मजौ II. 58.rob ,, धर्मो न विज्ञातः VI. 38.5a ,, निर्वास्यते राष्ट्रात II. 21.4c ,, पश्यन्ति राघवम् II. 48.7d ,, पूर्व जनस्थाने VI. 64.12a ,, प्रस्थापिता वयम् IV. 52.6d ,, बाला तपस्विनी II. 88.16b , बुद्धिस्त्वया कृता VI. 83.37d ,, भ्रात्रा दुरात्मना IV. 55.4b ,, मार्ग च भूमिं च III. 64.19c ., मां विषहिष्यसि V. 1.153b ,, मे धार्मिको भ्राता VI. I0I.I9a
, मरणान्ताय VI. 38.4c ,, ,, रूपमीदृशम् VII. 2.20d ,, ,, विहता गतिः V. 58.36d ,, याति निशाचर: III. 3.23d ,, याति मुहूर्तेन III. 68.12a ,, यान्ति महर्षयः I. 35.5d ,, यामि विहायसम् III. 48.6d ,, यास्यसि यानेन VI. 12I.IIC , युद्धं तदा दत्तम् VI. 27.19a , येन च गच्छन्ति III. 31.19c ,, ,, रथो याति VI. I06.22c ये न रक्षन्ति जीवितम् VI. 27.1d "" , विषयम् III. 33.6a ,, नराः कीर्तयिष्यन्ति VI. II7.32c येन राजन्हता सीता III. 65.12c ,, राजा त्वयानघ II. I03.10b ,, लङ्का प्रदीपिता VI. 63.48d , लोकास्त्रयः सेन्द्राः VII. 20.28a ,, वाग्मी भविष्यति VII. 36.14d ,, वा यत्र वा हता III. 71.25d
येन वाली हतो गतः IV. 30.81b ,, , , , ,, 34.18b ,, वासि समाहितः VII. I03.16b , वित्रासितः शकः VI. IIO.12a
वित्रासिता लोकाः III. 47.26a , वित्रासितो यमः VI. I0.12b ,, वै भयमागतम् VII. 69.26b , वैरं विनाऽरण्ये III. 36.12c ,, वैवस्वतो युद्धे VI. 61.9a ,, वैश्रवणो भ्राता III. 48.4a " , राजा VI. IIO.I2c ,, शक्यं महाप्राज्ञ II. I06.19c , शक्रो महातेजाः VI. 90.67a ,, शप्तोऽस्मि कैलासे V. 50.3a , सप्त महाताला IV. 12.9a , , महाद्रुमाः IV. 36.8b ,, सर्वगुणोपेताः IV. 4.22a ,, सर्वानरीन्वत्स VI. I05.3c , संभुज्यसे भीरु VII. I7.6c ,, संवत्सरः शुभः III. 16.4d ,, संस्तम्भनीयोऽयम् II. 34.54a , सा मैथिली हृता IV. 35.16d , सूदयसे शत्रून् VI. III.82c ,, सेनापतिर्देव I. 37.3a , सेन्द्रास्त्रय. लोकाः VI. I09.16a ,, स्फीतीकृतो भूयः II. 65.26c ,, स्म पिशिताशिनः IV. 58.28b , ,, विधवाः सर्वाः IV. 25.43c , स्यान्नाथवत्तरम् II. 2.13d येनं संक्षिप्यते सर्वम् VII. 22.4c येनाद्य त्वं महाबाहो VI. 92.9a ,, वहवो युद्धे VI. 49.14a येनायं राघवानुजः IV. 33.32d येनासौ याति बलवान् V. I.77a येनास्मि व्यसनीकृतः VII. 54.16b
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